नवगछिया : कारगिल के बाटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठिये से लोहा लेते हुए शहीद हुए हवलदार रतन सिंह का शव जब 5 जुलाई 1999 को तिरंगे में लिपटा नवगछिया आया था तो उनके स्वागत में पूरे इलाके के लोगो ने आंखें बिछा दी थीं। रात रात भर जगकर पूरे नवगछिया के युवक जगे रहे।
सड़कों पर उनके नाम के साथ शहीद रतन सिंह अमर रहे के नारे लिखे तख्तियां लगाई गईं। फूलों से उनको श्रद्धांजलि दी और रात भर जगकर शहीद का इंतजार किया। सुबह जब तिरंगे में लिपटा शहीद का शव आया तो जब तक सूरज चंद रहेगा शहीद रतन सिंह तेरा नाम रहेगा के नारे गूंजते रहे। सैकड़ो युवा हाथ मे तिरंगा लिये जयकारे कररते हुए शहीद के शव के साथ चल रहे थे। एक किलोमीटर से लंबा यह काफिला था।
सेना के जवानों के कंधे पर रतन का ताबूत था, परिजनों की आंखें बरस रही थी लेकिन गमगीन माहौल में रतन सिंह अमर रहे के नारे गूंज रहे थे। शहीद का शव गांव पहुचते ही गांव की महिलाएं, वृद्ध अपने लाडले का चेहरा देखने के लिए रोते बिलखते दौड़ पड़े।
पति का शव देखते ही बेहोश हो गयी थी पत्नी :
शहीद रतन सिंह का चेहरा देखते ही उनकी पत्नी मीना देवी बेहोश हो गई थी। वहीं पुत्र रूपेश, मंजेश, बेटी गुंजन और कंचन का भी रो-रोकर बुरा हाल था। सभी बच्चे छोटे थे जिन्हें बाद में बुआ ने संभाला।
तत्कालीन डीएम ने दी थी श्रद्धांजलि
शहीद के शव को भागलपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी अंशुलि आर्या ने श्रद्धांजलि दी थी। उनकी उपस्थिति में शहीद को जवान ने श्रद्धांजलि दी गई थी। बारिश के बीच इस अवसर पर इलाके के गणमान्य लोगों के अलावे युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। शहीद को उनके बड़े पुत्र रुपेश कुमार सिंह ने मुखग्नि दी थी।