लक्ष्मी पूजा को लेकर बाजार में बुधवार को श्रद्धालुओं ने लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, झाड़ू आदि की खरीदारी की. कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा होगी. इसी दिन मां का आगमन पृथ्वीलोक पर होता है. मां लक्ष्मी की पूजा वृष, सिंह, कुंभ लग्न में करना उत्तम है. वहीं प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है. इस बार प्रदोष काल संध्या 5: 36 से रात्रि 8 : 11 बजे तक है. पंडित राम जी मिश्र ने बताया कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है.
इसमें भी स्थिर लग्न की प्रधानता होती है. इस काल में स्वाति नक्षत्र का योग भी बनता है. पंडित अंजनी शर्मा ने बताया कि स्थान के आधार पर यह समय कम या ज्यादा भी हो सकता है. दिवाली के दिन माता लक्ष्मी, भगवान – गणेश और कुबेर की पूजा होती है. इस दिन श्री यंत्र, कुबेर यंत्र का पूजन लाभदायक और उन्नति प्रदान करने वाला माना जाता है. उन्होंने बताया कि स्थिर लक्ष्मी का वास होता है. दिवाली पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा अमावस्या तिथि में रात्रि के समय होती है.
इस बार दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त 31 अक्तूबर संध्या 5:36 बजे शुरू होगा. स्थिर लग्न वृषभ 6 बज कर 32 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, लेकिन इस बीच अमृत चौघड़िया शाम 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसलिए दीपावली पर 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा.
दिवाली का शुभ मुहूर्त महानिशीथ काल का पूजन मुहूर्त 31 अक्तूबर की रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक होगा. दिवाली इस बार बहुत ही खास मानी जा रही है. दरअसल 40 साल बाद इस दिन शुक्र-गुरु की युति से समसप्तक योग का निर्माण हो रहा है. साथ ही शनि अपनी ही स्वराशि कुंभ में विराजमान रह कर शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं.