नवगछिया : आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। यह चार दिवसीय कठिन व्रत पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। दूसरे दिन बुधवार को खरना होगा। इसके बाद गुरुवार को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। चौथे दिन शुक्रवार को उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न होगा।

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चैती छठ को लेकर व्रतियों में गहरी आस्था देखी जा रही है। इस व्रत से जुड़ी कई व्रतियों की अपनी-अपनी कहानियां हैं, जिन्होंने छठ माता से मन्नत मांगी और उनके पूरे होने के बाद यह कठिन व्रत करना शुरू किया। बूढ़नाथ की माला देवी ने बताया कि मैं पिछले 10 वर्षों से चैती छठ कर रही हूं। मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई थी, तब मैंने छठ मइया से उसके लिए आयु मांगी थी। मेरी मन्नत पूरी हुई और तभी से मैंने यह व्रत शुरू किया।

बूढ़ानाथ की ही गुड़िया देवी ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, मेरे घर में पोता-पोती नहीं हो रहे थे, तब मैंने छठ मइया से मन्नत मांगी। आज से पांच वर्ष पहले चैती छठ की खरना पूजा के दिन ही मेरे घर में पोती का जन्म हुआ। तब से मैं हर साल यह व्रत कर रही हूं। बूढ़ानाथ की ही सीता देवी ने बताया, पिछले छह वर्षों से चैती छठ का व्रत रख रही हूं।

मेरे बेटे को अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी, तब मैंने छठ मइया से प्रार्थना की और मेरी मन्नत पूरी हुई, तब से हर साल श्रद्धा से छठ कर रही हूं। लालूचक की निधि देवी ने बताया, मेरी बेटी की तबीयत बहुत खराब थी। डॉक्टरों की रिपोर्ट में कुछ भी साफ नहीं थी, जिससे हम सब बहुत परेशान थे। तब मैंने छठी मइया से मन्नत मांगी और उनके आशीर्वाद से मेरी बेटी पूरी तरह ठीक हो गई। तभी से आज तक चैती छठ व्रत करती आ रही हूं।