नवगछिया : मोहन पोद्दार, भागलपुर जिले के नवगछिया रेलवे स्टेशन से चार किमी (उत्तर) दूर में स्थित नगरह गांव में स्थापित अति प्राचीन श्रीपति वेंकटेश्वर देवस्थान है ग्रामीणों ने कहा कि पूर्वजों से प्राप्त अनमोल धरोहर को सुरक्षित रखना हमलोगो का दायित्व बनता है। सर्वप्रथम सभी के सहयोग से जर्जर हो रहें मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएग।
श्रीपति वेंकटेश्वर देवस्थान का इतिहास
नगरह गांव में स्थापित अति प्राचीन श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान मंदिर का वर्णन किया गया है। मंदिर का स्थापना 1903 ई० में नगरह गांव के जमींदार नंदकिशोर सिंह ने रखी थी। उक्त मंदिर में श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान, भूदेवी, भगवान रामानुजाचार्य, श्रीवरवरमुनी, श्रीशठकोप स्वामी, श्रीगरुड जी की पूजा की जाती हैं। नगरह गांव निवासी जमींदार नंदकिशोर सिंह 1875 ई० में श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान का दर्शन करने के लिये तिरुपति स्थित बालाजी मंदिर गए थे। उसी समय उनके मन में विचार आया कि श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान का एक मंदिर गांव में होनी चाहिए। ओर उनका विचार संकल्प में बदल गया। दर्शन के पश्चात घर लौट आए। इसके बाद अयोध्या के अध्यात्मिक गुरु बलभद्राचार्य जी महाराज से मिलकर उन्होंने अपने मन की बात बताई। पुनः विचार हुआ कि श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान की दो प्रतिमा बनाई जाए। इसमें एक नगरह और दुसरा अयोध्या में स्थापित की जाए।

भारत में केवल चार स्थानों पर हैं श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान मंदिर
पहला आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी वेकटेश्वर, मंदिर, दुसरा उत्तर प्रदेश के वृंदावन में रंग मंदिर है। तीसरा भागलपुर जिले के नगरह गांव में स्थापित श्रीपति वेंकटेश्वर देवस्थान एवं चौथा अयोध्या के उत्तरतोतादि्रमठ फैजाबाद में है। नगरह गांव को छोड़कर तीनों काफी विख्यात हैं। (वृंदावन मे हुआ मूर्ति का निर्माण ) नंदकिशोर सिंह ने इस कार्य को पूरा करने के लिए अपने भाई बलदेव प्रसाद सिंह को सौंपा। बलदेव सिंह ने जयपुर- से बेशकीमती काला भूसा मार्बल खरीदा। पत्थर को खरीदकर कुशल कारीगर के साथ उत्तर प्रदेश के वृंदावन गए। वृंदावन के रंग मंदिर में स्थापित श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान की प्रतिमा को देखकर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।
मूर्ति निर्माण में छह माह
मूर्ति बनाने के बाद एक मूर्ति नगरह एवं दुसरा मूर्ति अयोध्या के लिए रेल द्वारा पार्सल से भेजी गई। (80 मन की हैं श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान की प्रतिमा) धार्मिक गुरु के निर्देशन में भूदेवी श्री निवास, भगवान श्रीरामानुजाचार्य, श्रीवरवरमुनी ,श्रीशठकोप स्वामी , श्रीगरुड जी का छोटी मूर्ति का निर्माण किया गया। ये सभी मूर्ति अष्टधातु की हैं। प्रतिमा का वजन 80 मन हैं। वृंदावन के रंग मंदिर में श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान की प्रतिमा को प्रत्येक शुक्रवार को स्नान कराया जाता है। ओर नगरह में भी स्थापित श्रीपति वेंकटेश्वर भगवान की प्रतिमा का प्रत्येक शुक्रवार को स्नान करवाया जाता है।
स्नान के बाद भगवान को भोग लगाया जाता हैं। उत्तर प्रदेश के वृंदावन के रंग मंदिर एवं नगरह गांव में स्थापित श्रीपति वेंकटेश्वर देवस्थान एक समान हैं। एवं पूजन पद्धति भी एक समान है। नंदकिशोर सिंह ने वस्तुशास्त्र के अनुसार कुशल कारीगरों से मंदिर का निर्माण कार्य कराए थे। जो आज यह भव्य मंदिर अपनी जर्जरता की ओर है।कुछ वर्ष पूर्व ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर के गर्भगृह का कुछ कार्य किया गया।
धार्मिक पर्यटन सूची में नहीं हो सका हैं शामिल
भारत के कुल चार श्रीपति वेंकटेश्वर मंदिरों में नगरह गांव में स्थित श्रीपति वेंकटेश्वर देवस्थान तीसरा स्थान पर होने के बावजूद भी धार्मिक पर्यटन सूची में आज तक शामिल नहीं हो सका। जबकि अन्य मंदिर देश में विख्यात हैं। वर्ष 1957 ई० में बिहार धार्मिक न्यास वोर्ड में मंदिर का। रजिस्टेशन कराया गया था वर्ष 2000 तक वोर्ड में रजिस्टे्शन का नवीकरण किया जाता रहा । उसी दौरान वोर्ड ने मंदिर को पर्यटन स्थल के रुप में। विकसित की योजना बनाईं थीं। मंदिर की स्थिति जानने के लिए भागलपुर के तत्कालीन जिलापदाधिकारी नर्मदेश्वर लाल को पत्र लिखा था। जिलाधिकारी ने मंदिर जाकर पुरी स्थिति का जायजा लिया था। जिलाधिकारी ने अपने स्तर से मंदिर को पर्यटन सूची में शामिल करने की रिपोर्ट धार्मिक न्यास वोर्ड को भेजी गई थी। लेकिन आगे की प्रक्रिया आजतक पूरी नहीं की जा सकीं।