जेष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह अमावस्या 15 मई को है। ज्योतिषाचर्यों के अनुसार, जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती चल रही है उन लोगों को शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा अराधना करना जरूरी माना गया है। माना जाता है कि इस दिन पूजा -अर्चना और दान करने से शनि शांत होते हैं, और प्रभावित जातक के कष्ट दूर करते हैं।

शनिदेव का अन्य ग्रहों से संबंध-

शनिदेव को मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है। बुध और शुक्र को शनिदेव के मित्र माना गया है जबकि सूर्य चंद्रमा और मंगल को इनका शत्रु माना गया है। वहीं गुरु से इनका संबंध समभाव का है। शनिदेव को भगवान सूर्य के पुत्र हैं।

शनिदेव की पूजा करने में काले रंग की चीजें विशेष रूप से अर्पित की जाती हैं। पंडितों के अनुसार, शनिदेव की पूजा- चावल, काले तिल, काला धागा, फूल(संभव हो तो काले रंग के), सरसों का तेल, मिठाई, अगरबत्ती, दीपक और मौसमी फल।

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पूजा में ध्यान रखें ये बातें-

मान्यताओं के अनुसार, स्नान करके शुद्ध अवस्था में पुरुषों को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
शनि का प्रभाव यदि आपकी राशि में है तो शनि जयंती (15 मई 2018) को शनि की पूजा जरूर करें।
आपकी राशि में साढ़े साती या ढैया है तो शनिदेव की पूजा निश्चितरूप से करें।
जिनका लोहे से जुड़ा कारोबार है उन्हें भी शनि की पूजा करनी चाहिए।