सांप का जहर जान लेती है। लेकिन, यह जान बचाने के भी काम आती है। इससे सांप के काटने पर इलाज की दवा तो बनती ही है, कैंसर, पार्किंसन व अल्‍जाइमर जैसे रोगों के इलाज में भी इसकी भूमिका है। इस कारण देश-विदेश में  इसकी भारी मांग है।

मांग को देखते हुए सांप के जहर की बड़े पैमाने पर तस्‍करी होती रही है। बीते महीने मई में ही बिहार के किशनगंज में एसएसबी ने तस्‍करी कर बाहर भेजा जा रहा 70 करोड़ रुपये का सांप का जहर बरामद किया था। आइए नजर डालते हैं सांपों के जहर के दवाओं में उपयोग पर…

सांप के जहर से एंटी वेनम बनता है। जहर को अल्‍प मात्रा में जानवर के शरीर में इंजेक्‍ट कर जानवर के खून से ऐटीबॉडी लिया जाता है। इससे सांप के कोटे का इलाज होता है।

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रैटल स्‍नेक के जहर में पाए जाने वाले ‘क्रोटोक्सिन’ के कैंसर कोशिकाओं को नष्‍ट करने में इस्‍तेमाल पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।

रैटल स्‍नेक के जहर में ‘क्रोविरिन’ पाया जाता है, जिससे लेइसमेनियेसिस नामक बीमारी के कारक प्रोटोजोवा को खत्‍म किया जा सकता है।

ब्‍लैक मांबा के जहर का असर नर्वस सिस्‍टम पर पड़ता है। इससे पार्किंसन व अल्‍जाइमर रोगों के इलाज पर रिसर्च चल रहा है।

पिट वाइपर के जहर में पाया जाने वाला प्रोटीन ब्‍लड प्रेशर बढ़ने से रोकता है। यह ब्‍लड प्रेशर बढ़ाने के लिए उत्‍तरदायी एंजाइम को काम नहीं करने देता है।