नवगछिया डॉट कॉम : दुनियां में पिछड़ा और बिछड़ा इंसान वो है जिसके जीवन रूपी गाड़ी के दोनों पहिये (स्वयं- पति एवं पत्नी ) का व्यास एक ही माप का न होना.इससे आप सीधे चल ही नही सकते.जिससे तन और मन दोनों की हानि होगी.यह कैंसर जैसे बीमारी से भी ज्यादा घातक है क्योंकि पैसे के बल पर एक बार आप उस बीमारी से लड़ कर नया जीवन प्राप्त कर सकते हो लेकिन पति -पत्नी जिसे एक दूसरे के जीवन साथी कहते हैं. इसमें एक दूसरे को न समझना समर्पण का न होना इससे उत्पन्न बीमारी केंसर से भी घात्तक है जिसका इलाज है ही नही.जिससे आप समय से पहले बूढ़े, मानसिक क्षीणता अर्थात पागल और हो सके तो समय से पहले मृत्यु को और ले जाता है.आपस मे सामंजस्य लाये और जीवन का आनन्द लें.चूँकि ये वास्तविक जीवन है कोई पर्दे की काल्पनिक जीवन नही.जो कहानी के अनुसार बनता बिगड़ता जाएगा. यह तो नाश्वर शरीर है हर एक दिन घटता जाएगा.बिता हुआ पल कभी वापस नही आता.यदि समय से पहले नही संभले तो पछताते रह जाओगे.समझ तो आएगा लेकिन कब जब मृत्यु शैय्या पर पर जाओगे तब.

कहावत है – अब पछतावत होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत. अभी के समय मे 80% घर इस तरह के रोग से ग्रसित है.चूंकि आजकल की पत्नी सिर्फ पत्नी बन कर रह जाती है जीवन साथी नही बन पाती.

अंत मे मैं कहना चाहूंगा कि वैवाहिक जवन में एक दूसरे में समर्पण व बिश्वाश लाएं.जीवन साथी / जीवन संगिनी बनने की कोशिश सिर्फ विचारार्थ नही बल्कि यथार्थ हों.इन सब के लिए बुजुर्गों(माता-पिता)का आशीर्वाद बहुत जरूरी है वह हम लोगों के लिए भगवान से बढ़ कर है जिन्होंने हमारे सुखी जीवन के लिए शारीरिक पीड़ा को सहते हुए आर्थिक बोझ को ढोते हुए हमें इस मुकाम पर पहुचाते हैं.उनका दिल कभी न दुखाएं.उन्हें तो हमारी प्यार भरी बातें और व्यवहार ही उनके बृद्धावस्था का दवा साबित होता है.कभी कभी उनकी कड़वाहट आवाज भी जो गुस्से से निकलता है वह वास्तविक नहीं होता.क्योंकि जो व्यक्ति अपने सन्तान की खुशी के लिए अपना जीवन ही समर्पित कर देता है.तो उसे गुस्साने, डांटने का अधिकार है.इस पर हमें उग्र नही होना चाहिए.

अगर आपने यहां तक पढ़ा तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद. मेरे मन से निकला हुआ ये उद्दगार था जो मैंने अभी तक के जीवन के खट्टे मीठे अनुभव से प्राप्त किए.

क्योंकि कल मैंने बृद्धाश्रम के बारे में अध्ययन किया तो मेरे आंखों में आँशु आ गए.

मैं चाहूंगा कि आपलोग इस पर अपना विचार जरूर व्यक्त करेंगे.लड़के एवं लड़कियां दिनों के लिए यह एक तरह से cauncilling है ।

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नोट : लेखक राजीव रंजन (9931029369) नारायणपुर से प्रभात खबर के पत्रकार और युवा विचारक हैं।