राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि कुछ शिक्षक विद्यालय में ऐसे आ गये हैं जिन्हें पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि विकास की राशि से बनने वाले भवन पर नजर है। वैसे शिक्षकों में सुधार संभव नहीं है। उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को पुनर्मूल्यांकन कर विद्यालय के शिक्षण कार्य से हटाकर किसी दूसरे विभाग में काम करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि आज शिक्षक खिचड़ी खिलाने में लगे हैं। इसलिए विद्यालय में पढ़ाई नहीं होती। खिचड़ी के काम से शिक्षक को हटाया जाय। तभी बिहार में शिक्षा में सुधार होगा। वे गुरुवार को टाउन हॉल में आयोजित शिक्षा सुधार सम्मेलन कार्यक्रम को संबांधित कर रहे थे। कुशवाहा ने कहा कि आज बिहार में एनडीए की सरकार है। इसलिए शिक्षा में सुधार के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है बल्कि शिक्षा सुधारने की जरूरत है।

ग्रामीण स्तर पर भी गरीब तबके के बच्चे पैसे के अभाव में नहीं पढ़ पाते। यदि उसे सही पढ़ाई मिले तो ग्रामीण स्तर के बच्चे भी आईएएस, आईपीसी, डॉक्टर एवं इंजीनियर बन सकते हैं। 15 अक्टूबर को गांधी मैदान में रालोसपा का कार्यक्रम: इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, भगवान सिंह कुशवाहा, भूदेव चौधरी, नचिकेता मंडल, अंगद कुशवाहा, सुधीर मंडल सहित अन्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आगामी 15 अक्टूबर से पटना के गांधी मैदान में शिक्षा के सुधार के लिए कदम उठाया जायेगा।

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रालोसपा किसी जाति विशेष के लिए नहीं है बल्कि गरीबों की पार्टी है। उन्होंने कहा कि जिसके पास है या नहीं है, यह कोई मायने नहीं रखता, बल्कि शिक्षा अमीर-गरीब सबके लिए जरूरी है। सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है। जिसके कारण अधिकांश लोग अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं।