नवगछिया : हाल ही में हों रही मेट्रिक परीक्षा की  भीड़ पर हमारी बात स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के ब्राच मनेजर मिस्टर अलोक डे से हुई उन्होंने ने जोली अंदाज में कहा कि महापर्व छठ के अलावा भी १ पर्व है जो अपने बिहार में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है इस पर्व का नाम है मैट्रिक की परीक्षा जी हाँ,  इस महान पर्व की कुछ समान्तर बातों को कुछ इस प्रकार उन्होंने बताया (Whatsup के द्वारा)

alok dey

  • दोनों की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है. छठ पर्व ४ दिनों तक चलता है और मैट्रिक की परीक्षा लगभग ६ दिनों तक,
  • परिवार के हर रिस्तेदार को पता होता है कि हमारे किस रिस्तेदार के यहां कौन मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है,
  • गाँव के परीक्षार्थी जिनका सेंटर शहर में है, उनको शहर के हर रिस्तेदार के यहां से पहले ही फ़ोन आ जाता है की बउआ को हमारे यहां ही रुकना है यहाँ से सेंटर नजदीक परेगा,
  • जिनका कोई रिस्तेदार शहर में नहीं होगा वो सब पहले से ही मिल के १ गाड़ी ६ दिनों के लिए भाड़ा कर लेते हैं ताकि कोई दिक्कत नहीं हो,
  • परीक्षार्थी के खाने पिने का विशेष ध्यान दिया जाता है, कुछ भी जिससे पेट ख़राब होने का खतरा है, वो खाना वर्जित रहता है,
  • परीक्षार्थी अगर लड़की है तो उसके जीजा जी का ६ दिन उसके साथ सेंटर पर जाना अनिवार्य होता है,
  • बीच बीच में परीक्षार्थी के सभी रिस्तेदार उससे मिलने के लिए सेंटर पर आएंगे; अंगूर, सेव अथवा अन्य खाने पिने की वस्तु लेकर। ऐसा न करने पर रिस्तेदारों की किरकिरी होती है,
  • परीक्षा ख़त्म होने पर शाम में परीक्षार्थी को समोसा, मिठाई इत्यादि खिलाया जाता है,
  • परीक्षार्थी के हाथ में सुबह सेंटर पर जाने वक़्त “गेस पेपर” तथा “एटम बम” होना अनिवार्य होता है, नहीं तो उस परीक्षार्थी को बुरबक समझा जाता है,
  • परीक्षार्थी के पास कम से कम ४-५ कलम होना चाहिए, जितनी कलम परीक्षार्थी खत्म करेगा उसको उतना ही तेज समझा जायेगा,
  • परीक्षार्थी के लिए नया कपड़ा ख़रीदा जाता है,
  • परीक्षार्थी के साथ कम से कम ५ लोगों को सेंटर पर जाना अनिवार्य होता है ताकि परीक्षार्थी को चिट पहुँचाने में कोई दिक्कत न हो तथा उसका आत्म विश्वास बना रहे,
  • परीक्षार्थी जिस टीचर से ट्युसन पढ़ा है वो टीचर भी १ दिन सेंटर पर जरूर आएगा, लास्ट मोमेंट में कुछ दिव्य ज्ञान देने के लिए,
  • परीक्षा सेंटर के अगल बगल में ढेरो खाने पिने की दुकाने खुल जाएँगी,
  • परीक्षा सेंटर के बॉउंड्री वाल के अगल बगल में रोज कम से कम 1 ट्रक कागज की पर्चिया बिखरी होंगी,
  • परीक्षा के दिन शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बिलकुल अस्त व्यस्त रहेंगी,
  • परीक्षा के अंतिम दिन हर परीक्षार्थी नजदीक के सिनेमा घरो में सिनेमा देखने जायेंगे और इसी के साथ ये पर्व सम्पन हो जाता है।