लोग घर को बुरी आत्माओं और विपत्तियों से दूर रखने लिए लाखों उपाय करते है। वास्तुशास्त्र में भी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए कई उपायों को बताया है। हम आपको मकान बनाते समय ध्यान रखने वाले अनोख रहस्य के बारे में बता रहे है जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी हैं। जिसका पालन करना आप और आपके परिवार के लिए बहुत महत्वणूर्ण है। शास्त्रों में भी इन उपायों का उल्लेख किया है। तो जानिए मकान की नींव में सर्प और कलश को क्यों गाड़ा जाता है?

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▶ऐसा माना जाता है कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं।
▶पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता।
▶इन परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया, जो पहाड़ों सहित सारी पृथ्वी को धारण किए है।
▶उल्लेखनीय है कि हजार फणों वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं।
▶भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं।
▶बहुत बार भगवान के साथ-साथ अवतार लेकर उनकी लीला में भी साथ होते हैं।
▶श्रीमद्भागवत के 10 वे अध्याय के 29 वें श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है- अनन्तश्चास्मि नागानां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं।
▶नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे।
▶शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं। इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान पर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें।
▶ विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है, जो नागों को सबसे ज्यादा प्रिय है।
▶भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग हैं ही। लक्ष्मण और बलराम भी शेषावतार माने जाते हैं। इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है।