ढोलबज्जा: नवगछिया प्रखंड अंतर्गत नेहरु उच्च विद्यालय ढोलबज्जा का स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. 32 साल में इस विद्यालय के पास अपना एक भी भवन नहीं रहने से तीसरी बार स्थानांतरित कर +2 के नव निर्मित भवनों में संचालित किया जा रहा है. फिर भी अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं पढ़ पाई है. जिससे करीब 850 नामांकित स्कूली छात्र-छात्राओं का जीवन प्रभावित हो रही है. मालूम हो कि 1985 के भीषण चक्रवात के दौरान ही नेहरु उच्च विद्यालय ढोलबज्जा के भवन पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं. तब से इस विद्यालय का पठन पाठन मध्य विद्यालय ढोलबज्जा में स्थानांतरित कर किया जा रहा था. उसके बाद यहां जब इंटर स्तरीय विद्यालय ढोलबज्जा के भवनों का नवनिर्माण हुआ तो, इसे यहां से हटाकर उस भवनों में स्थानांतरित कराया गया. जहां हाई स्कूल के करीब 600 व प्लस टू के करीब 250 छात्र छात्राएं नामांकित हैं.

जहां दोनों विद्यालयों के विद्यार्थियों को मिलाकर कुल 850 बच्चों का संतुलित पाठ्यक्रम हो पाना मुश्किल हो चुका है. जबकि नेहरु उच्च विद्यालय ढोलबज्जा को जमीन का कोई अभाव नहीं है. अकेले ढोलबज्जा को छोड़ इस विद्यालय के नाम से करीब 1 बीघा जमीन भटगामा मौजा के खलीफा टोला व प्रताप नगर मौजा अंतर्गत करीब 4 बीघा जमीन पर स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर जोत किया जा रहा है. जो जमीन खैरपुर कदवा निवासी छोटेलाल भगत ने विद्यालय के नाम 6 फरवरी 1966 में किया था. जिसका सारा दस्तावेज विद्यालय के पास सुरक्षित हैं.

वहीं 16 लाख में 4 साल पहले इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय ढोलबज्जा के नए भवनों का निर्माण तो हो गया है, पर अब तक उसे मिलने वाले बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है. इस विद्यालय को अभी तक एक शिक्षक भी नसीब नहीं हो पाई है. फिलहाल हाई स्कूल के ही कुछ योग्य शिक्षक सभी छात्रों को पढ़ा रहे हैं. जिस की संख्या अभी 9 हैं. विद्यालय प्रभारी रामदेव प्रसाद सिंह से पुछने पर उन्होंने बताया कि यहां संस्कृत व साइंस के एक भी शिक्षक नहीं है. इस विद्यालय में चार दिवारी, चापाकल, प्रयोगशाला कक्ष, छात्राओं के लिए कॉमन रूम व लाइब्रेरी कक्ष भी नहीं है, जिसकी अति आवश्यक है.

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विद्यालय के चारों तरफ चार दिवारी नहीं रहने के कारण यहां भी करीब 5 कट्ठा जमीन चारों तरफ से स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है. यह विद्यालय कब तक ऐसी माली हालत झेलती रहेगी ? इसके लिए कई बार जिला शिक्षा विभाग भागलपुर को भी कहा जा चुका है. फिर भी कुछ नहीं हो पा रही है. विद्यालय की ऐसी विधि व्यवस्था को लेकर दर्जनों छात्रा लोग पढ़ाई भी छोड़ने को मजबूर हो चुकी है.