नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत के कारण हो रही परेशानी को देखते हुए बिहार के शेखपुरा जिले के कोरमा थाने का अवगिल गांव पूरे देश के लिए मिसाल बन गया है। गांव के लोगों ने कैशलेस सिस्टम से जुड़ने का एक सार्थक प्रयास की शुरुआत की। गांव की पूरी आबादी बैंकिंग व्यवस्था जुड़ गई है। गांव में लेन देन की पूूरी प्रक्रिया डिजिटल है।

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गांव के कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक रंजीत कुमार ने डोर टू डोर संपर्क कर डिजिटल और कैशलेस व्यवस्था से होने वाले लाभ से लोगों को रूबरू कराया। रंजीत ने 3 महीने के भीतर साढ़े पांच सौ के करीब लोगों को बैंक खाता खोलकर पूरी आबादी को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ दिया और इसका असर ये पड़ा की गांव में लेन देन की पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो गई।

इस गांव की कुल आबादी तीन हजार के करीब है। पहले से ही इस गांव में 2500 लोगों के बैैंक अकाउंट थे। नोटबंदी के बाद बचे सभी लोगों ने भी बैंक अकाउंट खुलवा लिया।

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इस गांव में सीमेंट, किराना दुकान और कोचिंग सेंटर सभी जगहों पर पेटीएम के जरिए सफलता पूर्वक कैशलेस ट्रांसजेक्शन किया जा रहा है। गांव में कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए आधार कार्ड से लोग आसानी से बगैर करेंसी के खरीददारी कर रहे हैं।
कैशलेस व्यवस्था से उत्साहित किसान रामानुज सिंह कहते हैं कि नोटबंदी के बाद कुछ परेशानी हुई थी लेकिन कैशलेस सिस्टम शुरु होने से दिक्कतें खत्म हो गयी है।
गांव में किराना दूकान चला रहे पंकज सिंह ने बताया कि कैशलेस होने से नगद राशि रखने का झंझट ख़त्म गया है हो। साथ ही लूट-पाट होने की संभावना की आशंका भी दूर हो गयी है।

हाईस्कूल की छात्रा रूबी का कहना है कि स्कूल से मिलने वाली छात्रवृति सहित अन्य लाभकारी योजनाओं की राशि बैंको के माध्यम से हो रही है।

बहरहाल शेखपुरा जैसे पिछड़ा क्षेत्र में अवगिल गांव का कैशलेस कार्यक्रम की शुरुआत से मिल रहे सकारात्मक रिजल्ट से आम लोग काफी उत्साहित हैं। जरूरत है बैंकिंग व्यवस्था को सरल और सुगम बनाया जाय ताकि अवगिल की तरह पूरे जिले के लोग डिजिटल और कैशलेस सिस्टम का लाभ उठा सकें।