Bihar DElEd: डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) कोर्स करना अब शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। बिना डीएलएड कोर्स कोई भी शिक्षक अब प्राइमरी स्कूल में नहीं पढ़ा सकता है। बिना डीएलएड पढ़ाने वालों पर भी कार्रवाई होगी। उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।

ज्ञात हो कि प्रदेश के स्कूल में कार्यरत 52 हजार 979 शिक्षकों ने डीएलएड कोर्स नहीं किया है। अब ये शिक्षक एक से पांचवीं तक की कक्षा में नहीं पढ़ा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनआईओएस ने डीएलएड कोर्स के लिए 2017 में नामांकन लिया था। इसमें बिहार से दो लाख 63 हजार 116 शिक्षक पंजीकृत हुए। इसमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूल के शिक्षक शामिल थे। इसमें दो लाख 10 हजार 137 शिक्षक तो पास कर गए, लेकिन 52 हजार शिक्षक परीक्षा में शामिल नहीं हुए या अनुत्तीर्ण रहे। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2019 तक एलिमेंट्री कक्षा में पढ़ाने के लिए डीएलएड कोर्स करने का निर्देश दिया था।

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ऐसे रहा नामांकन
सरकारी स्कूल की स्थिति
कुल शिक्षक 44276
डीएलएड की परीक्षा में शामिल 37539
अनुपस्थित शिक्षक की संख्या 6737

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सहायता प्राप्त सरकारी स्कूल
कुल शिक्षक 12482
डीएलएड की परीक्षा में शामिल 12360
अनुपस्थित शिक्षक की संख्या 3144

निजी स्कूल वाले शिक्षक
कुल शिक्षक 206042
डीएलएड परीक्षा में शामिल 204312
अनुपस्थित शिक्षक की संख्या 40930

प्रो. सीबी शर्मा (अध्यक्ष, एनआईओएस) ने कहा- एलिमेंट्री (एक से पांचवीं तक) कक्षा में पढ़ाने के लिए डीएलएड कोर्स करना अनिवार्य है। जिन शिक्षकों ने कोर्स नहीं किया, वो अब इन कक्षाओं में नहीं पढ़ा सकते हैं। बिहार में 50 हजार से अधिक शिक्षक ये कोर्स नहीं किये हैं। इनकी शिकायत आती है इन शिक्षकों को जेल तक जाना पड़ सकता है।