नारायणपुर- प्रखंड के सिद्धपीठ मणिद्वीप भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर के परिसर में आयोजित सप्तदिवसीय कथा के छठे दिन, हजारों श्रद्धालु श्रोताओं के बीच बोलते हुवे स्वामी आगमानन्द जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत सारे शास्त्रों का निचोड़ है यह एक ऐसा पका हुवा मीठा फल है, जिस में न गुठली है,न छिलके हैं केवल रस हीं रस हैं. रसिकजन इस फल को प्रेम से रसास्वादन करते हैं. वहीं,वैशाली से पधारे विद्वान संत पंडित कुशेश्वर चौधरी जी ने राजा बलि एवं वामन अवतार के प्रसंग को सुनाते हुवे कहा कि-हे बलि- ब्राह्मण को आवश्यकतानुसार हीं मांगना चाहिए, यद्यपि बलि ने कहा कि, आप ब्राह्मण देवता जो मांगे, वो मैं दे सकता हूँ.

इस पर गुरु शुक्राचार्य जी ने कहा कि ये वामन रूप में साक्षात विष्णु तुमसे मांगने आये हैं. ये छल करके तुमसे तीनों लोक लेकर, इंद्र को दे देंगे. शुक्राचार्य ने कहा कि अपने लिये व अपने स्वजन के लिये धन रखकर हीं दान करना चाहिये. पंडित चौधरी जी ने एक अंधे के द्वारा श्रीराम जी को देखने की इच्छा से जुड़ा हुआ सरस-भजन सुनाकर हजारों श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. वही गुरुवार को नवगछिया अनुमंडल के सुदूर क्षेत्रों से हजारों श्रोताओं की भीड़ जमा हुई थी.

सैदपुर से पधारे मानस कथा वाचक प्रेमशंकर भारती मदरौनी के मुखिया खगड़ा, साहुपरवत्ता, तुलसीपुर आदि गांवों से श्रद्धालुओं की भीड़ कथा सुनने पहुंची थी. आरती के उपरांत कथा का विश्राम हुआ कल कथा का समापन दिवस है. उक्त कार्यक्रम का सफल संयोजन व मंच-संचालन भजन-सम्राट दीपक झा जी के द्वारा किया गया साथ हीं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भ्रमरपुर के महिला पुरुष सहित आयोजन समिति के छोटु गोस्वामी, सौरभ कुमार उर्फ झुन्ना, नवनीत झा, डा.अजीत कुमार, मनोहर झा सहित अन्य लोगों का सराहनीय योगदान कर रहे हैं.

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