रविवार दी॰ 26.11.17 मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी के उपलक्ष में भानु सप्तमी पर्व मनाया जाएगा। रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग से भानु सप्तमी नामक विशेष पर्व का सृजन होता है। सनातन संस्कृति व पौराणिक ग्रंथों में भानु सप्तमी को अत्यधिक शुभ माना गया है। इस दिन सूर्यदेव के निमित्त व्रत-उपासना व उपाय करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। पौराणिक मतानुसार भानु सप्तमी भी सूर्य-ग्रहण के समान प्रभावकारी है। इसमें जाप, दान, व्रत व उपाय करने पर उसका सूर्य ग्रहण की तरह अनंत गुणा फल मिलता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं।

इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है। इस दिन विशेषकर तांबे के लोटे में जल, रोली, अक्षत, इत्र, गुड़, व शहद डालकर सूर्य देव को तीन बार अर्घ्य दिये जाने का विधान है तथा सात लाल फल चढ़ाकर दान करने की मान्यता है। जिससे नेत्रों की ज्योति में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति को तेज, प्रतिष्ठा, विद्या, वैभव प्राप्त होता है। भानु सप्तमी के विशेष पूजन व्रत व उपाय से दरिद्रता दूर होती है, दुःख व शोक से मुक्ति मिलती है व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

विशेष पूजन विधि: प्रातःकाल सूर्यदेव का विधिवत पूजन करें। सिंदूर मिले तेल से दीप करें, अग्गर की धूप करें, लाल चंदन चढ़ाएं। लाल फूल चढ़ाएं। सेव का फलाहार चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत फलाहार व भोग गरीबों में बांट दें।

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पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:30 to से प्रातः 09:30 तक।

पूजन मंत्र: ॐ श्रीं हिरण्यगर्भाय नमः॥

उपाय
दुःख से मुक्ति हेतु सूर्यदेव के निमित तांबे के दिए में गौघृत का दीप करें।

सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सूर्यदेव पर चढ़े अशोक के 7 पत्ते घर के मेन गेट पर बांधे।

दरिद्रता से मुक्ति हेतु सूर्यनारायण पर चढ़े 7 खजूर किसी ब्रह्मण को दान करें।