9 अप्रैल को नहाय खाय के साथ चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। व्रती परंपरा के अनुसार पवित्र होकर कद्दू, अरवा चावल एवं चना दाल का पहले दिन प्रसाद बनाकर खाएंगे। 10 अप्रैल को खरना तथा 11 अप्रैल को भगवान भास्कर को संध्या कालीन अर्घ्य के साथ ही पवित्रता से जुड़े इस पर्व का समापन होगा।

जिले में हर साल की तरह इस साल भी नदी, तालाबों के अलावे महिला, श्रद्धालु द्वारा घरों में इस पर्व की तैयारी शुरू कर दी गई है। 6 अप्रैल को चैत शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के आरंभ होते ही हिंदुओं के कई पर्व त्योहार शुरू हो जाते हैं। पंडित मनोज मिश्रा ने बताया चैत शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा को ही हिंदुओं का नव वर्ष शुरू होता है और इस दिन से नया पंचांग की गिनती होती है। भगवान श्री राम का जन्मोत्सव 13 अप्रैल को महानवमी के दिन मनाई जाएगी। 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अंबेडकर जयंती, स्वामी नारायण की जयंती के साथ कुछ इलाकों में बैसाखी के पर्व भी मनाए जा सकते हैं।

चैत नवरात्र महाअष्टमी एवं नवमी एक ही दिन

चैत नवरात्र में इस साल अष्टमी एवं नवमी एक ही दिन पड़ रहा है। नवरात्र में एक तिथि के लोक होने के कारण 13 अप्रैल को सुबह 8:15 तक अष्टमी तिथि भोग कर रही है। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो अगले दिन 14 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे तक है। 14 अप्रैल को 5:42 बजे सूर्योदय काल है लेकिन इसके ठीक 28 मिनट बाद तक ही नवमी तिथि पड़ रही है। फलस्वरूप 13 अप्रैल को ही अष्टमी एवं नवमी तिथि की गिनती होगी एवं नवमी का पाठ कर हवन किया जाएगा।

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दिन के मध्य काल में भगवान राम का जन्मोत्सव

हिंदु परंपरा के अनुसार दिन के मध्य काल में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। 13 अप्रैल की सुबह 8:15 बजे से नवमी तिथि शुरू होगी। जो अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगी। नवमी तिथि का मध्य काल 13 अप्रैल को ही पड़ रहा है। इसलिए भगवान राम का जन्मदिन 13 अप्रैल को ही मनाया जाएगा। इस अवसर पर जुलूस भी निकाले जाते हैं। हालांकि इस साल आदर्श आचार संहिता को देखते हुए प्रशासन की इस तरह के धार्मिक आयोजन पर भी रहेगी। जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में दो दर्जन से अधिक पूजा समितियों द्वारा निकाली जानी वाली जुलूसों में भगवान श्रीराम एवं रामभक्त हनुमान के जयघोष के नारे के साथ ही उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।