करीब 24 घंटे से 110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची सना को बचाने के लिए हर कवायद की जा रही है। बच्ची बोरवेल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। घटना मंगलवार की है। बुधवार को बोरवेल से उसकी आवाज नहीं आ रही। लेकिन मंगलवार रात तक उसकी अंदर से ‘पापा…पापा’ की आवाज पूरे माहौल को गमगीन कर रही थी।

कुछ ही घंटों में निकाली जा सकती है बच्ची

 कल से ही पूरा शहर उसकी जिंदगी के लिए दुआ कर रहा है। उसे सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन और स्थानीय लोगों ने पूरी ताकत झोंक दी है। घटनास्थल पर एनडीआरएफ की टीम पहुंच चुकी है और रेस्क्यू अॉपरेशन की कमान संभाल ली है। अब उम्‍मीद है कि उसे अगले कुछ ही घंटों के भीतर बाहर निकाल लिया जाएगा।

 

इससे पहले एसडीआरएफ की टीम ने जिला प्रशसन के सहयोग से सारे ऑपरेशन को अपने हाथों में ले लिया था।रेस्क्यू के लिए मौके पर एल शेप में गड्ढा खोदा जा रहा है।एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर संजीत ने बताया कि अभी 32 फीट गड्ढा खोदा जा चुका है, जबकि करीब 12 फीट और गड्ढा करना बाकी है। वहीं बोरवेल में गिरी बच्ची सना की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। मां लगातार बच्ची को बाहर से आवाज दे रही है।

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दुआओं में उठे हजारों हाथ 

बच्ची की सकुशल बरामदगी के लिये दुआओं की भी दौर लगातार जारी है। पटना समेत राज्य के अलग-अलग इलाकों से सना के लिये पूजा-पाठ और हवन किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू के लिये 42 फीट का गड्ढा खोद लिया है।

अंतिम चरण में खुदाई
घटना कोतवाली थाना क्षेत्र के मुर्गियाचक मुहल्ले की है। मंगलवार अपराह्न तीन बजे खेलने के दौरान सना बोरवेल में गिर गिर गई। लाइट और कैमरे के जरिये निकाली गई फुटेज में पता चला कि वह 35 फीट की गहराई में बोरिंग के लिए डाले गए प्लास्टिक के पाइप में फंसी है।

वहां तक पहुंचने के लिए प्रशासन बोरवेल के समानांतर चैनल बना रहा है। दो जेसीबी और दो पोकलेन की सहायता से खुदाई अंतिम चरण में है। देर रात की बारिश के बाद इस काम में सामान्‍य मजदूर भी लगाए गए हैं।

उसे सकुशल बाहर निकालने के लिए मंगलवार को प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार पाल ने गृह सचिव और आपदा विभाग के प्रधान सचिव से बात की। दानापुर आर्मी कैंप को भी सूचित किया गया। रांची से भी विशेषज्ञों की टीम को आने के लिए कहा गया है। एसडीआरएफ, आइटीसी और रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों की टीम कमान संभाले हुई है।

स्थानीय लोगों ने बच्ची को बचाने के लिए ऑक्सीजन मास्क और सेफ्टी बेल्ट के साथ एक बालक को बोरवेल में उतारने की इजाजत मांगी लेकिन प्रशासन ने इनकार कर दिया। एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर ने कहा कि समानांतर चैनल से एक सुरंग बना कर बच्ची तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। उम्‍मीद है कि कुछ ही घंटे में बच्‍ची काे निकाल लिया जाएगा।
पटना से मांगी जा रही पल-पल की जानकारी
राज्य सरकार ने भी घटना को गंभीरता से लिया है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी घटना की पल-पल जानकारी ले रहे हैं। पटना से लगातार अधिकारियों से बचाव कार्य की बाबत जानकारी ली जा रही है।

मंत्री शैलेश कुमार ने कहा कि उन्होंने प्रमंडलीय आयुक्त और प्रभारी डीएम से बात की है। राज्य सरकार इस मामले में बच्चों के परिजन के साथ है। बचाव कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो, इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है।


नाना के घर आई थी सना
बोरवेल में गिरी सना मुंगेर के नोट्रेडेम एकेडमी की मान्टेसरी की छात्रा है। 10 फरवरी 2015 को जन्मी सना बोरवेल में जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रही है। वहीं, बाहर उसके लिए हजारों लोग दुआएं कर रहे हैं। दो दिन पहले ही वह अपने पिता नचिकेता के साथ नाना उमेश नंदन साह के घर आई थी। मोहल्ले के उदय शंकर प्रसाद के घर हो रहे बोरिंग के लिए बोरवेल खोदा गया था। मंगलवार की दोपहर खेलने के क्रम में वह बोरवेल में गिर गई।
बोरवेल खुदाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
बताया जा रहा है कि इस बोरवेल की खुदाई में प्रावधानों की अवहेलना की गई है। विदित हो कि बोरवेल में बच्‍चों के गिरने की कई घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने मार्च 2009 में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के के प्रावधान बनाने के लिए एक कमेटी गठित की।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर 2010 में संज्ञान लिया। कोर्ट ने सभी बेकार पड़े खुले बोरवेल को ढ़कने तथा चालू बोरवेल को घेरने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग का दायित्‍व पंचायती राज संस्‍थाओं, नगर निकायों जथा लोक स्‍वास्‍थ्‍य अभियंत्रण विभाग को दिया।

प्रावधानों के अनुसार बोरवेल ऑपरेटरों को संबंधित क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट कार्यालय में निबंधन कराना अनिवार्य है। बोरवेल की खुदाई के दौरान वाहन पर इस निबंधन संख्‍या का जिक्र करना अनिवार्य है। ऑपरेटर को 15 दिनों के अंदर खोद गए बोरवेल की संख्‍या, गहराई व आकार की जानकारी प्रशासन को देना भी अनिवार्य है।

खुदाई के बाद बोरवेल ऑपरेटर तथा जमीन मालिक काे यह संयुक्‍त घोषणा पत्र देना है कि काम पूरा करने में प्रावधानों को पालन किया गया।