हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का खास महत्व है। शनिवार को विवाह पंचमी है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था। मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। राम विवाह महोत्सव के दिन बूढ़ानाथ गंगा घाट के समीप सीताराम नाम का संगीतमय जप, संकीर्तन, अष्टयाम आदि का आयोजन किया जाएगा। अायाेजन समिति के पंडित भूपेश मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी पर अखंड संकीर्तन, अष्टयाम, 24 घंटे का रामचरितमानस पाठ अादि होंगे। यज्ञ शााला के लिए हवन कुंड तैयार है। सीता, राम, लक्षमण, हनुमान की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके पहले सुबह 11 बजे अाचार्य पंडित दिवाकर मिश्रा, मनमाेहन मिश्रा, इन्द्रजीत झा पिंकु के नेतृत्व में गाजे-बाजे के साथ कलश शाेभायात्रा निकाली जाएगी।

शाेभायात्रा गंगा तट से बूढ़ानाथ मंदिर फिर मंदिर से यज्ञशाला पहुंचेगी। उन्हाेंने बताया कि किरण मिश्रा, पंडित भूपेश मिश्रा, पंडित सुरेन्द्र तिवारी, पंडित कारू मिश्रा, पंडित मुकेश झा अादि मुख्य रूप से अायाेजन में रहेंगे। बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया कि विवाह के अवसर पर राम दरबार सजाया जाएगा। अखंड संकीर्तन पूजन का अायाेजन किया जाएगा। पंडित साैरभ मिश्रा ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर में भी विवाह उत्सव होंगे।

विवाह पंचमी के दिन लोग बेटियों की नहीं करते हैं शादी

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी का सभी पुराणों में विशेष महत्व है। 14 वर्ष वनवास के बाद भी गर्भवती सीता का राम ने परित्याग कर दिया था। इस तरह सीता को महारानी का सुख नहीं मिला। इसलिए विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं। विवाह पंचमी पर की जाने वाली रामकथा का अंत राम और सीता के विवाह पर हो जाता है। क्योंकि दोनों के जीवन के आगे की कथा दुख और कष्ट से भरी है और इस दिन सुखांत करके ही कथा का समापन कर दिया जाता है‌। राम और सीता के विवाह की वर्षगांठ के तौर पर विवाह पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को राम सीता का स्वयंवर हुआ था। इस पर्व को मिथिलांचल और नेपाल में बहुत उत्साह और आस्था से मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को राम सीता का विवाह मिथिलांचल में संपन्न हुआ था।

Whatsapp group Join