अलीगंज के गंगा विहार काॅलोनी मोहल्ले में शुक्रवार शाम घर में घुसकर इंटर की छात्रा पर एसिड अटैक के मामले में बबरगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई। छात्रा के पिता के आवेदन पर दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस ने शुक्रवार को हिरासत में लिए गए युवक प्रिंस कुमार (पिता- मुन्ना भगत, मकखातकिया नवगछिया) को गिरफ्तार कर लिया। जबकि उसके छोटे भाई सौरव और उसके दोस्त गंगटी निवासी राजा यादव को हिरासत में रखा गया है। राजा के पास छात्रा का मोबाइल मिला है। उधर, बनारस के चंद्रिका नगर इलाके के स्मयन हॉस्पिटल में भर्ती छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है। वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। अस्पताल के चिकित्सक डॉ. जयंतो तपादार अौर उनकी टीम की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने छात्रा की हालत नाजुक बताई है। डॉक्टरों ने बताया कि करीब एक सप्ताह तक छात्रा को ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा, इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उधर, पटना से आई एसएफएल टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। टीम ने घटनास्थल पर छात्रा के दुपट्‌टे, अपराधियों का कट्‌टा आैर कई चीजों के फिंगर प्रिंट्स भी लिए। टीम करीब दो घंटे तक जांच की।

एसएसपी और सिटी एसपी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच की

टीम ने गिरफ्तार आरोपी प्रिंस के हाथ के भी सैंपल लिए। पुलिस ने बताया कि अन्य आरोपियों के बारे में उसने कोई जानकारी नहीं दी। उधर, जिला पुलिस ने अपराधियों की सुराग पाने के लिए खोजी कुत्ते की भी मदद ली। सिटी डीएसपी राजवंश सिंह पूरी तरह घटनास्थल पर कैंप किए हुए हैं। शहवासियों के आक्रोश को देखते हुए एसएसपी आशीष भारती और सिटी एसपी एसके सरोज ने मौके का मुआयना किया और कई निर्देश दिए। घटना को लेकर कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। परिधि पीस सेंटर ने लाजपत पार्क से प्रतिवाद मार्च निकाला। डिप्टी मेयर ने भी पीड़ित परिवारों से मिलकर हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

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इस बेटी के शरीर को गलाते एसिड के दर्द को महसूस कीजिए

कभी सोचा है… कैसा दर्द हुआ होगा… कितनी पीड़ा हुई होगी? फूल सी कोमल बेटी को भागते-कराहते-छटपटाते देख उसकी मां ने कैसी बेचारगी झेली होगी… कितना दर्द महसूस किया होगा? सोचिएगा… महसूस कीजिएगा उस दर्द को। क्योंकि समाज को बचाए-सहेजे रखने के लिए यह जरूरी है। ये वाकई दुस्साहस की पराकाष्ठा है। तीन मनचले घर में घुसे और उसके साथ गलत करना चाहा। नहीं कर सके तो उसे एसिड से नहला दिया। शहर की एक बेटी आज बनारस के अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। आज पूरा शहर उसके साथ खड़ा दिख रहा है। लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।

उसके लिए दुआओं की जरूरत है। लेकिन जरा सोचिए जरूर उस समाज और प्रशासन को लेकर भी जहां इस तरह की घटनाएं हो जा रही है। ये सवाल लाजमी है कि क्या प्रशासन का खौफ नहीं रहा? वरना शाम के सात बजे इस तरह के अपराध को अंजाम देने की कोई सोच कैसे सकता है? अपराध को अंजाम देने वालों के अंदर अगर कानून और प्रशासन का भय खत्म हो जाए तो यह खतरनाक है। समाज में नैतिक मूल्यों के पतन को लेकर भी सोचना जरूरी है। जिस तरह से इस दौर में सामाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न हो रहा है वह एक गंभीर चुनौती है।