पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (Delhi AIIMS) में मौत हो गई है। वे वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन पर बिहार में शोक की लहर है। उनके निधन पर जेडीयू नेता केसी त्‍यागी ने शोक प्रकट करते हुए इसे राजनीति की पूरणीय क्षति बताया है। इसके पहले उन्‍होंने आइसीयू से ही उन्‍होंने राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) से इस्‍तीफा देने का अपना पत्र जारी कर बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सियासी हड़कम्‍प मचा दिया था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का 74 वर्ष की उम्र में निधन। दिल्ली के एम्स के आइसीयू वार्ड में थे भर्ती। दो दिन पहले उनकी हालत बिगड़ गई थी। संक्रमण बढ़ गया था और सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनका पटना के एम्स में इलाज किया गया था।

कुछ ठीक होने के बाद उन्हें पोस्ट कोविड मर्ज के इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाया गया था। अभी तीन दिन पहले ही उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था।

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विदित हो कि रघुवंश पसाद सिंह बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गए थे। तब पटना एम्‍स (Patna AIIMS) में इलाज के दौरान उन्‍होंने आरजडी के उपाध्‍यक्ष सहित पार्टी के तमाम पदों से इस्‍तीफा दे दिया था। उन्‍हें मनाने की कोशिशें चल ही रहीं थीं कि वे फिर बीमार पड़ गए। इस बार दिल्‍ली एम्‍स में इलाज के दौरान उन्‍होंने 10 सितंबर को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया। रघुवंश के इस्‍तीफे को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद याद ने स्‍वीकार नहीं किया। वे पार्टी में अपने विरोधी रामा सिंह (Rama Singh) की एंट्री की कोशिशों से नाराज चल रहे थे।

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नीतीश को लिख पत्र में की वैशाली की चिंता

रघुवंश प्रसाद सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से जारी अपने पत्र में वैशाली की चिंता की है। पत्र में उन्होंने वहां के तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया है। साथ ही विश्व के प्रथम गणतंत्र के सम्मान में महात्मा गांधी सेतु रोड में हाजीपुर के पास भव्य द्वार बनाकर मोटे अक्षरों में विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली द्वार दर्ज कराने का आग्रह किया है।

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दिनकर की कविताओं को लिखवाने का आग्रह

उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं को जगह-जगह मोटे अक्षरों में लिखवाने का आग्रह भी किया है, ताकि आने-जाने वाले लोग दूर से ही इन्‍हें पढ़ सकें। वहीं उन्होंने ‘बज्जीनां सत अपरीहानियां धम्मा’ के अनुसार सातों धर्मों का उल्लेख जगह-जगह बड़ी दीवार पर पाली, हिंदी और अंग्रेजी में कराने तथा वैशाली के उद्धारक जगदीशचंद्र माथुर की प्रतिमा लगाने के भी आग्रह किए हैं।

रघुवंश प्रसाद सिंह को लेकर उड़ने लगी अफवाह, परिवार ने कहा- हालत नाजुक लेकिन अभी वो जिंदा हैं

सांस लेने में थी तकलीफ

पिछले कई दिनों से रघुवंश सिंह की हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी. बताया जा रहा था कि उनको सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. दिल्ली के एम्स में इलाजरत रघुवंश बाबू की निगरानी 4 डॉक्टर, ICU में कर रहे थे. रविवार सुबह रघुवंश बाबू के परिवारवालों ने बताया था कि वो अभी भी वेंटिलेटर पर ही हैं और उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है. मालूम हो कि रघुवंश प्रसाद सिंह का इलाज 4 अगस्त से ही दिल्ली स्थित एम्स में चल रहा था और वो पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे.

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रघुवर प्रसाद की जीवनी और राजनीतिक कार्यकाल

6 जून 1946 को रघुवंश प्रसाद का जन्म हुआ था, जिन्होंने लगातार चार बार वैशाली से विधायक का पद संभाल कर वहां का गौरव बढ़ाया है। एक बेदाग छवि के नेता के रूप में मशहूर माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद ने हर सुख दुख में लालू यादव का साथ दिया, जो लालू यादव के बेहद ही करीबी दोस्त माने जाते हैं।

यह साल 1977 की बात है, जब रघुवंश प्रसाद पहली बार विधायक बने थे और साल 1985 तक उन्होंने अपनी जीत का परचम लहराया। जब साल 1995 में लालू यादव मंत्रिमंडल के मंत्री बनाए गए, तब लालू यादव के कहने पर साल 1996 में रघुवंश प्रसाद ने वैशाली से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उस वक्त उनका सामना समता पार्टी के वृषिण पटेल के साथ हुआ था उस वक्त देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे, तब रघुवंश प्रसाद को केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया था और फिर पशुपालन और डेयरी का कार्यभार संभाला और फिर कुछ सालों बाद उन्हें उपभोक्ता मंत्रालय उन्हें भेजा गया, पर कहा जाता है कि रघुवंश प्रसाद को राजनीतिक में असली पहचान तब मिली जब वह दौर 1999 से 2004 के गुजर रहे थे, क्योंकि 1999 में लालू यादव के चुनाव हारने के बाद रघुवंश प्रसाद को दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल के संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया गया था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के दिग्गज नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन

2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली की सीट से आरजेडी के टिकट पर रघुवंश प्रसाद ने चुनाव लड़ा और उनके सामने थे बाहुबली के नेता राम सिंह जिन्होंने रघुवंश प्रसाद यादव को हरा दिया था और जब से रामा सिंह को आरजेडी में शामिल करने की बात होने लगी थी तब से रघुवंश प्रसाद पार्टी से नाराज चल रहे थे।