भागलपुर स्टेशन अधीक्षक को कुछ दिन पहले मिले एक पत्र में 12 दिसंबर को भागलपुर स्टेशन पर नक्सली हमले की बात कही गई है। इस पत्र के मद्देनजर रेल पुलिस को अलर्ट किया गया है लेकिन यह महज कागजी है। डिविजन के सबसे कमाऊ और भीड़भाड़ वाले स्टेशन पर सुरक्षा संसाधनों के नाम पर कोई आधुनिक उपकरण नहीं है। स्कैनर की घोषणा होकर रह गई और मेटल डिटेक्टर गेट लगकर उखड़ गया।

नक्सली वारदात के मद्देनजर मिले पत्र की बात छोड़ भी दें तो भागलपुर स्टेशन पर किसी न किसी कारण से सुरक्षा के दृष्टिकोण से अलर्ट रहता है। स्टेशन पर भी कई वारदात हो चुके हैं जिसमें गोली तक चली है। आए दिन यहां अवैध हथियारों की खेप पकड़ी जाती है। बावजूद इसके सुरक्षा तामझाम के नाम पर लाठी लेकर आरपीएफ व जीआरपी जवान ही दिखते हैं। दूसरी ओर मालदा स्टेशन कमाई में, यात्रियों की संख्या में और ग्रेडिंग में भागलपुर से कम है लेकिन वहां स्टेशन पर सुरक्षा संसाधनों की फेहरिस्त लंबी है। उस अनुपात में भागलपुर में न केवल यात्री सुविधा में बल्कि सुरक्षा संसाधनों की भी कमी है।

2012 में स्कैनर की घोषणा, 2018 तक नहीं लगा
मालदा डिविजन के पूर्व सिक्यूरिटी कमांडेंट सुभाष चौधरी ने 2012 में स्कैनर लगाने की घोषणा की थी लेकिन टेंडर होने के बाद वह स्कैनर भागलपुर नहीं पहुंचा। बताया गया कि मालदा या बंगाल क्षेत्र के ही किसी दूसरे स्टेशन पर लगा दिया गया।

Whatsapp group Join

धमाके हुए तो मेटल डिटेक्टर गेट लगे, फिर उखड़ गए
जब प्रधानमंत्री के दौरे पर गांधी मैदान और पटना स्टेशन पर बम फटा तो फटाफट भागलपुर गेट पर मेटल डिटेक्टर गेट लगाये गये। दो महीने तक यह मेटल डिटेक्टर गेट रहा। पहले तो उस होकर गुजरने पर इंडीकेटर जलना बंद हो गया। इसके बाद एक दिन गेट ही हटा दिया गया।

दो में एक खोजी कुत्ता आया, उसे भी घर नहीं मिला
दो साल पहले भागलपुर स्टेशन के लिए दो खोजी कुत्तों का दस्ता तैनात करने की घोषणा की गई। आनन-फानन में कुत्तों के रहने के लिए जगह बनाए गए। इनमें से एक खोजी कुत्ता भागलपुर आया भी लेकिन उसे सही जगह नहीं मिला। कभी बैरक में तो कभी कहीं और रखा जाता है। इस कुत्ते का इस्तेमाल भी तभी दिखता है जब कोई वीआईपी आनेवाला होता है।

58 में से 16 सीसीटीवी कैमरे ही लगे
भागलपुर स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगभग पांच साल तक बंद रहे। कुछ महीने पहले 16 नए कैमरे लगाए गए। कुल 58 कैमरे भागलपुर स्टेशन पर लगाये जाने हैं। अभी तक 16 लगे हैं और इनमें से एक खराब भी हो चुका है। आरपीएफ इंस्पेक्टर एके सिंह बताते हैं कि अभी तक एजेंसी ने लगाए गए कैमरे को हैंडओवर नहीं किया है।