भागलपुर : लॉकडाउन के दौरान परदेसियों के लौटने पर जो पाबंदी लगाई गई थी, वो बुरी तरह विफल रही। हर दिन कोई पैदल, तो कोई साइकिल, बाइक, ट्रक, एंबुलेंस आदि से अपने गांव पहुंच रहा है। इस कारण ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना का कहर फैलने लगा है। पूर्व बिहार के बाद अब कोसी और सीमांचल में भी पीड़ित मिल रहे हैं। इन तीनों इलाकों में लगभग एक लाख 32 हजार मजदूर बाहर से आए हैं।

इनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जिनकी जानकारी प्रशासन के पास भी नहीं है। सीमांचल का पूर्णिया इस बीमारी के प्रकोप से अछूता था। शहर से सटे रामबाग मुहल्ले में दिल्ली से चार दिन पहले फल के ट्रक में छिपकर दो लोग पहुंचे थे। इनमें से एक कोरोना पॉजिटिव निकला। इधर, बांका के विशनपुर गांव के निवासी मुंबई रेलवे में कार्यरत थे। वह शव वाहन के साथ बांका पहुंचे थे। आज जब मरीज की स्थिति बिगड़ी, तो मायागंज अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। सीमांचल के ही ठाकुरगंज के रहने वाले एक युवक भी कोरोना पॉजिटिव निकला।

उधर, मधुबनी और मधेपुरा में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से कोसी इलाके के भी लोग भयभीत हैं। अकेले सहरसा में सात हजार परदेसी मजदूर अब तक पहुंच चुके हैं। रविवार को भी छह लोग तीन बाइकों पर सवार होकर सहरसा पहुंचे थे। इसके पूर्व, चार लोग साइकिल से दिल्ली तक की यात्र कर सहरसा स्थित अपने गांव आए। सहरसा में कुछ लोग जुगाड़ गाड़ी से भी दिल्ली से चले आए थे। ऐसी स्थिति में सहरसा और सुपौल के लोग भी सशंकित हैं।

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ये दोनों जिले अभी कोरोना के प्रभाव से मुक्त हैं। बिहार में सबसे ज्यादा संवेदनशील मुंगेर जिला है। यहां कोरोना से कुल 90 लोग संक्रमित हुए। सोमवार को यहां संक्रमण के कुल 22 मामले सामने आए। भागलपुर में भी कोरोना संक्रमण के पांच मामले सामने आए हैं। इधर, रविवार को भागलपुर के 158 संदिग्धों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

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