बिहार में रोड सेफ्टी फंड बनेगा। केंद्र सरकार बड़ी योजना सड़क दुर्घटना में घायलों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और नि:शुल्क इलाज (कैशलेस ट्रीटमेंट) को लेकर केंद्र के निर्देश पर बिहार सरकार रोड सेफ्टी फंड बनाएगी। दिल्ली में हुई राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

केंद्रीय सड़क राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह, सड़क मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमान मौजूद रहे। बिहार से इस बैठक में परिवहन विभाग की मंत्री शीला कुमारी और ओएसडी आजीव वत्स शामिल हुए। दो सत्रों में हुई इस बैठक के पहले सत्र में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद तो दूसरे सत्र में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक हुई। दोनों बैठकों में सड़क दुर्घटना और इससे होने वाली मौतों को कम करने के लिए बिहार की ओर से केंद्र सरकार को आवश्यक सुझाव दिए गए।

केंद्र ने बैठक में राज्यों को निकट भविष्य में अपनाई जाने वाली नई नीतियों की जानकारी दी। उसमें सड़क दुर्घटना कम करने के लिए बुनियादी तौर पर किए जाने वाले कार्यों की चर्चा हुई। विशेषतौर पर ड्राइविंग स्कूल खोलने से लेकर दुर्घटना में घायलों का इलाज कैसे हो, इस पर विमर्श हुआ। केंद्र की ओर से बताया गया कि अगर किसी घायल को सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों में लाया जाता है, तो उस समय पैसे को दरकिनार किया जाना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है कि घायलों का कैशलेश ट्रीटमेंट हो। कोई भी अंजान व्यक्ति अगर घायल को लाए तो उसका उपचार नि:शुल्क किया जाए। बिहार सहित सभी राज्यों ने केंद्र के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई और जल्द इसकी अधिसूचना जारी करने का आग्रह किया ताकि राज्य अपने-अपने यहां इस पर अमल कर सकें।

Whatsapp group Join

घायलों के इलाज पर डेढ़ लाख होगा खर्च

सड़क दुर्घटना का इलाज तुरंत हो, इसके लिए परिवहन विभाग निजी अस्पतालों को जोड़ेगा। अधिसूचना जारी होते ही स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक कर इस पर निर्णय लिया जाएगा। निजी अस्पतालों में कितने पैसे तक का मुफ्त इलाज हो, यह तय हो गया है। अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक सरकार घायल के इलाज पर खर्च करेगी। सरकारी अस्पतालों में भी इलाज के दौरान दिक्कत नहीं हो, इसकी मुकम्मल व्यवस्था होगी। घायलों को सबसे पहले सरकारी अस्पताल लाया जाएगा। इसके बाद जरूरत हुई तो उन्हें निजी अस्पतालों में भेजा जाएगा। रोड एक्सीडेंट के बाद आम लोग घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं, इस विषय पर लोगों को जागरूक किया जाएगा। लोगों को यह बताया जाएगा कि अस्पताल पहुंचाने वालों से पुलिस पूछताछ नहीं करेगी।