कोरोना महामारी के बीच सरकारी व्यवस्था न चरमराए, इसके लिए राज्य सरकार अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लगाने पर विचार कर रही है। इस कानून के लागू होने के बाद सरकार को हड़ताली कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।

सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर न जाएं, इसे दखते हुए एस्मा कानून लागू करने पर विचार किया जा रहा है। गृह विभाग द्वारा एस्मा लागू करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार इस पर फैसला लेगी।

कई बार हड़ताल पर गए हैं डॉक्टर :

बिहार में सरकारी डॉक्टर कई दफे हड़ताल पर जा चुके हैं। एम्बुलेंस चालकों का संघ भी हड़ताल पर जाता रहा है। विश्वभर में फैले कोरोना को रोकने के लिए भारत में भी कई कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार ने भी भीड़भाड़ को रोकने और स्वास्थ्य व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाए रखने के लिए कई प्रबंध किए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर जाने से स्थिति भयावह हो सकती है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार एस्मा कानून लगाने पर विचार कर रही है।

Whatsapp group Join

एस्मा कानून संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इसके लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है। कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।