बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों को केंद्र सरकार से निराशा हाथ लगी है। केंद्र ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन देने का कड़ा विरोध किया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को इसलिए लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि बिहार के बाद अन्य राज्यों की ओर से भी इसी तरह की मांग उठने लगेगी। यदि नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 3,69,98 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा जिसे वहन करना मुश्किल है।
बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी, गोपाल सिंह और मनीष कुमार पेश हुए। उन्होंने कहा कि मामले में औपचारिक नोटिस जारी होना चाहिए। जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने शिक्षक पक्षों को पक्ष रखने को कहा और अंतिम सुनवाई 31 जुलाई तय कर दी।