राज्य के 71635 सरकारी प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को शिक्षा विभाग जल्द ही किताब खरीदने के लिए पैसा देगा। पैसा करीब 1.60 करोड़ बच्चों के खाते में सीधे डीबीटी के माध्यम से दिये जाने की तैयारी की जा रही है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह ने कहा कि शैक्षिक सत्र 2019-20 में पहली से सातवीं तक में नामांकित रहे बच्चों के खाते में करीब 600 करोड़ रुपये किताब के दिये जाएंगे। इसके लिए सीएफएमएस का आदेश दे दिया गया है। अगले सप्ताह तक राशि खातों में चली जाएगी।

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर प्रदेश के सभी स्कूल व शैक्षणिक संस्थान 14 मार्च से ही बंद हैं। इस वजह से सरकारी स्कूलों में बच्चों की वार्षिक सह मूल्यांकन परीक्षा भी नहीं ली जा सकी है, लेकिन अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने 8 अप्रैल को आदेश जारी कर पहली से ग्यारहवीं (10वीं को छोड़) के सभी बच्चों को बिना वार्षिक परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नति दे दी है। बच्चे प्रोन्नत तो हो गए हैं, लेकिन अगली कक्षा में अभी उनका नामांकन नहीं हो सका है पर दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई हो रही है।

कोरोना संकट के बीच ही बीईपी ने मार्च माह में ही आरटीई एक्ट-2009 के तहत 6-13 साल के सभी विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा था। अब जाकर उसपर निर्णय लेते हुए किताब खरीद का पैसा बच्चों के खाते में दी जाने की तैयारी है। बिहार के प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को विगत दो शैक्षिक सत्र से किताब के बदले राशि दी जा रही है, उससे पूर्व किताब की ही आपूर्ति होती थी।

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फिलहाल पहली से सातवीं में पढ़ चुके बच्चों के खाते में ही किताब का पैसा दिया जाएगा। जो आठवीं में थे वे नौवीं में प्रोन्नत हो गए हैं। पहली कक्षा में सभी नए बच्चे नामांकित होंगे। अन्य कक्षाओं में नए विद्यार्थियों का नामांकन होना है। ऐसे सभी नए नामांकितों को स्कूलों के संचालन सुचारू होने के बाद किताब खरीदने का पैसा उनके खाते में जाएगा।

’ पहली से 7वीं तक के अगली कक्षा में प्रोन्नत बच्चों को मिलेंगे पैसे ’ बच्चों को बिना वार्षिक परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नति दी गई है

बीईपी के एसपीडी संजय सिंह ने कहा कि जुलाई में किताबें जिलों में उपलब्ध रहे, यह सुनिश्चित करने का आदेश बिहार पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध निदेशक को दिया गया है। जिन निजी प्रकाशकों को किताब छापने का जिम्मा दिया गया है, उन्हें किताबें प्रकाशित कर जिलों तक पहुंचानी होगी।