बिहार के डेढ़ करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने मौजूदा बिजली दर में 10 पैसे प्रति यूनिट की कमी कर दी है। एक अप्रैल से लागू होने वाली इस नई दर के अलावा उपभोक्ताओं को अब मीटर रेंट भी नहीं देना होगा।

आपके अपने लोकप्रिय अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 24 फरवरी के अंक में ही यह खबर प्रकाशित की थी। मीटर रेंट समाप्त होने पर हरेक उपभोक्ताओं को 20 से लेकर 1000 रुपए महीने तक का लाभ होगा।

आयोग ने फिक्स चार्ज बढ़ाने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया और इसे मौजूदा दर के अनुसार ही रखा गया है। 33 किलोवाट कनेक्शन में न्यूनतम खपत को आधा कर दिया गया है। इसका लाभ कोल्ड स्टोर, राईस मिल संचालकों को मिलेगा। कोरोना को देखते हुए शुक्रवार को विनियामक आयोग ने खुले कोर्ट के बदले बंद कक्ष में फैसला सुनाया। आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी, सदस्य आरके चौधरी और राजीव अमित ने आयोग और बिजली कंपनी के अधिकारी-कर्मचारियों की मौजूदगी में नई बिजली दर की घोषणा की। डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसमिशन की पांचों कंपनियों की नई दर को आयोग के वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया।

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बीते 15 नवंबर 2019 को आयोग के समक्ष याचिका दायर कर नॉर्थ व साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लि. ने फिक्स चार्ज और मीटर रेंट बढ़ाने के नाम पर 2.79% बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। समीक्षा के दौरान आयोग ने पाया कि बिजली खरीद की औसत दर 4.20 रुपए प्रति किलोवाट, आपूर्ति दर 7.35 रुपए प्रति किलोवाट तो बिल वसूली की दर 7.36 रुपए प्रति किलोवाट है। इसे आधार बना आयोग ने सभी श्रेणी में 10 पैसे प्रति यूनिट बिजली दर कम करने का निर्णय लिया।

सरकारी अनुदान पर निर्भर उपभोक्ताओं को लाभ
विनियामक आयोग की ओर से बिजली दर कम करने का लाभ उपभोक्ताओं को तभी मिलेगा जब सरकार चाहेगी। देश में बिहार इकलौता राज्य है जहां अनुदानरहित बिजली दर की घोषणा होती है। अब आयोग के फैसले के बाद राज्य सरकार सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को अनुदान देने की घोषणा करेगी। अगर अनुदान में कटौती हुई तो उपभोक्ताओं को आयोग की ओर से दिए गए लाभ का फायदा नहीं होगा।

मौजूदा वित्तीय वर्ष 2019-20 में सरकार बिजली कंपनी को 860 करोड़ का अनुदान दे रही है। किस श्रेणी के उपभोक्ता को हर महीने कितना अनुदान मिल रहा है, इसका जिक्र बिजली बिल में हुआ करता है।आयोग ने तीन ट्रांसमिशन कंपनियों की भी नई दर घोषित की। बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 2020-21 के लिए 1387 करोड़ की मांग की थी पर आयोग ने 870 करोड़ मंजूर किया और 421 करोड़ 28 लाख पिछले साल की बची राशि से समायोजन करने को कहा। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने 2020-21 के लिए 8.94 करोड़ की मांग की थी जिसमें से 7.55 करोड़, बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड को 561.65 करोड़ की तुलना में से 460.20 करोड़ मंजूर किया गया।

आयोग ने कंपनी की कार्यशैली में सुधार का निर्देश दिया है। कंपनी को अपना नुकसान 15 फीसदी पर लाने को कहा है। इससे अधिक नुकसान होने पर कंपनी को खुद भार वहन करना होगा। कंपनी को ऊर्जा लेखा पद्धति को अपनाने, बिजली खरीद में मेरिट ऑर्डर डिस्पैच के सिद्धांत को लागू करने, बिजली बिल देने के साथ ही उसकी सुनिश्चित वसूली करने का टास्क दिया है। साथ ही उपभोक्ताओं की शिकायतों का निबटारा के लिए नए तरीकों को अपनाने के साथ ही ऑनलाइन शिकायत लेने और निबटाने का आदेश दिया है।

नई बिजली दर में यह भी है

मीटर शुल्क समाप्त कर बिहार गुजरात, तामिलनाडु जैसे अग्रणी राज्यों में शामिल
कुटीर ज्योति और ग्रामीण घरेलू सेवा में बिना मीटर के कनेक्शन नहीं मिलेंगे
ग्रामीण घरेलू, ग्रामीण व्यावसायिक और सिंचाई सेवा में मांग आधारित टैरिफ लागू
मांग आधारित बिल में अब न्यूनतम खपत को 85 प्रतिशत से 75 प्रतिशत किया गया
न्यूनतम 21 घंटे बिजली देने पर ही मांग आधारित बिल की वसूली करने वाला बिहार पहला राज्य
लोड से अधिक खपत करने पर धराए तो इनर्जी चार्ज के साथ ही फिक्स्ड चार्ज भी देना होगा
छोटे उद्योग और पब्लिक वाटर वर्क्स में टाइम ऑफ डे टैरिफ का विकल्प लागू हुआ

यूनिट बिना अनुदान आयोग ने सुनाया अभी अनुदान सहित

कुटीर ज्योति
0-50 6.15 6.05 2.17
ग्रामीण घरेलू
1-50 6.15 6.05 2.65
51-100 6.40 6.30 2.90
101-200 6.70 6.60 3.15

200 यूनिट से अधिक 7.05 6.95 3. 50
शहरी घरेलू
1-100 6.15 6.05 4.32
101-200 6.95 6.85 5.12
201-300 7.80 7.70 5.97

300 यूनिट से अधिक 8.60 8.50 6.77

बिजली दर कम
2005 में आयोग बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब बिजली दर कम हुई है। दोनों कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में खर्च के लिए 20 हजार 551 करोड़ 49 लाख की मांग की थी पर आयोग ने 19 हजार 341 करोड़ 17 लाख की मंजूरी दी।

बिजली उपभोक्ताओं को वित्तीय वर्ष 2020-21 में कितना अनुदान दिया जाए, इस पर जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा। कंपनी को प्रस्ताव बनाकर लाने को कहा गया है ताकि उसे कैबिनेट में लाया जा सके। -बिजेन्द्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार