राज्य कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना’ को मंजूरी दे दी है. ग्राम पंचायत से प्रखंड मुख्यालय तक परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने को शुरू की गयी इस योजना में एससी-एसटी वर्ग के बेरोजगारों को आरक्षण भी दिया जायेगा.

बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन प्रणाली लागू करने, न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एडीजे के 185 पदों का सृजन और प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रतीक्षा सूची में शामिल एससी-एसटी और अति पिछड़ा वर्ग के भूमिहीन परिवारों को भूखंड खरीदने के लिए ‘मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना’ के क्रियान्वयन को भी मंजूरी दे दी गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की हुई बैठक में 24 प्रस्तावों पर मुहर लगी. अपने फैसलों में कैबिनेट ने एससी-एसटी और अति पिछड़ा वर्ग का विशेष ध्यान रखा है.

दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लायी गयी मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना में गांवों से प्रखंड मुख्यालय तक आने-जाने के लिए परिवहन सेवा सुलभ होगी. प्रत्येक पंचायत के लिए पांच वाहनों की खरीद पर अनुदान दिया जायेगा. इसमें एससी-एसटी के तीन और अति पिछड़ा वर्ग के दो बेरोजगार लाभान्वित होंगे.

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इससे आवागमन की सुविधा बढ़ने के साथ ही एससी-एसटी और अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को रोजगार भी मिलेगा. वाहन की खरीद पर मूल्य का आधा अथवा अधिकतम एक लाख रुपये अनुदान मिलेगा. लाभुकों के चयन के लिए बीडीओ की अध्यक्षता में चयन समिति और एसडीओ की अध्यक्षता में अनुमंडल स्तर पर गठित समिति स्वीकृति देगी.
जमीन खरीदने को 60 हजार की सहायता

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की प्रतीक्षा सूची में शामिल एससी-एसटी और अति पिछड़ा वर्ग के भूमिहीन परिवारों को जमीन उपलब्ध नहीं रहने के कारण नंबर आने के बाद भी आवास नहीं मिल पाता है. राज्य सरकार अब ऐसे लाभार्थियों को ‘मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना’ के तहत जमीन खरीदने के लिए 60 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जायेगी.

मरीजों को उनकी मर्जी के अनुसार उपलब्ध होंगे डाॅक्टर

आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रणाली को मंजूरी मिलने से इलाज के लिए अस्पताल आने वाले व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन काउंटर पर खड़ा नहीं रहना पड़ेगा.

बिहार के किसी भी कोने से मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक डॉक्टर से परामर्श के लिए घर बैठे पहले ही समय ले सकेंगे. इस प्रणाली के तहत सरकारी अस्पतालाें में ओपीडी में प्राप्त किये जा रहे रजिस्ट्रेशन शुल्क की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है.

हालांकि, संजीवनी प्रणाली के तहत ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले मरीजों से पूर्व की भांति रजिस्ट्रेशन शुल्क प्राप्त किया जायेगा.

कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि संजीवनी प्रणाली के तहत ओपीडी निबंधन काउंटर पर निबंधन कराने वाले मरीजों से पूर्व की भांति निबंधन शुल्क प्राप्त किया जायेगा. राज्य में प्रति स्वास्थ्य संस्थान ओपीडी का औसत 10480 मरीज है.