मोहम्मद नियाज की हत्या के बाद नवगछिया में लाटरी टिकट की खरीद फरोख्त करने वाले भूमिगत हो गए। लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रहेगी…?। यदि पुलिस की कार्रवाई नहीं हुई, तो जल्द ही लाटरी माफिया अपना पांव फैला देंगे। जगजाहिर है कि लाटरी टिकट बेचने के लिए यहां पांच काउंटर थे और इन काउंटरों से करीब सौ एजेंट जुड़े थे। ये सभी लाटरी टिकट को नवगछिया के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंचाते थे। लॉटरी के इस अवैध धंधे को सफेदपोशों का संरक्षण भी प्राप्त था।

बताया जाता है कि नियाज को एक लाख नहीं 25 लाख की लाटरी लगी थी। लॉटरी की भाषा में नियाज का जैकपॉट लगा था। पर नवगछिया सहित आसपास में बिकने वाले लाटरी का टिकट असली टिकट नहीं होता है। एक तो लॉटरी दूसरे देश या अन्य राज्यों में खेली जाती है, दूसरी बात यह कि नवगछिया और आसपास के क्षेत्रों में वितरण के लिए नकली टिकट बनाये जाते हैं।

असली टिकट लाटरी माफियाओं के पास रहते हैं, जो नवगछिया के बाहर के लोग होते हैं। ऐसे में जब किसी को लाटरी लगती है, तो नवगछिया में जैकपॉट लगने पर एक से डेढ़ लाख रुपये ही दिए जाते हैं और बांकी रकम बाहर बैठे माफियाओं के जेब में जाता है। थानाध्यक्ष राजकपूर कुशवाहा ने कहा कि लाटरी का धंधा पूरी तरह से बंद है, पुलिस नजर रख रही है।

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लेनदेन के विवाद के बाद पंचायती भी हुई थी

लॉटरी के जानकार एक व्यक्ति ने कहा कि नवगछिया में हर दिन लाटरी का धंधा दस लाख रुपये से अधिक का है। हजारों टिकट की बिक्री होती है और रोजाना पांच से सात व्यक्तियों को लाटरी भी लगती है। लॉटरी के शौकीन एक व्यक्ति ने अपना नाम न छापने के शर्त पर बताया कि उसे एक बार दस लाख की लाटरी लगी थी लेकिन उसे साठ हजार रुपये की दिये गये। उक्त व्यक्ति ने भी कहा कि जैक पॉट लगने के बाद नवगछिया में एक लाख रुपये मिलते हैं।

कहा जा रहा है कि जैक पॉट लगने के बाद अगर लाटरी का टिकट बेचने वाला जानकार रहता है, तो वह पूरे चेन से संपर्क कर कम से कम दस लाख रुपये की वसूली कर लेता है। सवाल उठता है कहीं नियाज की हत्या के पीछे बड़ी रकम का मामला तो नहीं है। क्योंकि सूत्र बताते हैं कि लाटरी लगने के बाद लेनदेन को लेकर हुए विवाद के बाद एक पंचायती भी हुई थी। पंचायती में फुलवा राय को तीस हजार रुपया दिलवाया गया। फिर नियाज कोलकाता चला गया, लेकिन जब वह वहां से लौटा तो विवाद जस का तस रख ही रहा और यही उसकी हत्या का कारण बन गया।