गत 22 फरवरी को खरीक के बगड़ी गांव निवासी माले नेता सह किराना दुकानदार जवाहर यादव हत्याकांड मामले में पुलिस ने नामजद एक आरोपी छोटू यादव की गिरफ्तारी के बाद मामले को उस तरह भूल गई जिस तरह लोग गुजरे जमाने को भूल जाते हैं। घटना के दूसरे दिन इलाके के माले नेताओं व ग्रामीणों ने शव को एन एच 31 पर रख सड़क जाम किया था। तब पुलिस शीघ्र सभी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दी थी। इसके बाद तीन घंटे बाद जाम खत्म हुआ था। मगर घटना के 19 दिन बाद भी खरीक पुलिस ने दूसरे नामजद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

हालांकि खरीक के तत्कालीन थानाध्यक्ष दुबे देवगुरु ने उसके अगले ही दिन 24 घंटे में घटना के मुख्य आरोपी सह जेल में बंद कुख्यात जोगी यादव के पुत्र छोटू यादव को गिरफ्तार कर पुलिस के प्रति लोगों के विश्वास को जगाया था। लेकिन इसके दूसरे दिन थानाध्यक्ष दुबे देवगुरु स्टेशन डायरी अपडेट नहीं रखने के आरोप में निलंबित हो गए। जिसके बाद इस्माइलपुर के थानाध्यक्ष राजेश कुमार राम को खरीक थाने की कमान पुलिस कप्तान निधि रानी द्वारा सौंपी गई।किंतु पूर्व थानाध्यक्ष के निलंबन के बाद खरीक पुलिस माले नेता हत्याकांड को इस तरह भूल गई मानो 22 फरवरी को कोई घटना ही घटित नहीं हुई हो।

शायद यही वजह रहा होगा कि घटना के 19 दिन बाद भी ना ही दूसरे अपराधियों की गिरफ्तारी हो पाई ना ही पुलिस उदभेदन की सड़क पर एक कदम चल पाई। पूर्व थानाध्यक्ष के निलंबन के साथ ही नये थानाध्यक्ष को उसी दिन कमान सौंपने का एसपी का यही मंशा रहा होगी कि इस हत्याकांड का इनवेस्टीगेशन प्रभावित नहीं हो। गौर हो 22 फरवरी को आधा दर्जन से अधिक की संख्या में हथियारबंद अपराधियों ने माले नेता के घर में घुसकर पीछे से गोली मार दी थी। इलाज के लिए ले जाने के दौरान रास्ते में ही उनकी मौत हो गई थी।

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