नवगछिया : गंगा नदी में आई उफान के बाद नवगछिया के अधिकांश इलाकों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है. वहीं अनुमंडल के विभिन्न प्रखंड में बांधो पर कटाव होने से बाढ़ का खतरा बरकरार है. नदी के जल स्तर में जिस रफ्तार से वृद्धि हुई है उस रफ्तार में नदी के जल स्तर में कमी नहीं आ रही है. पिछले दो दिनों में नदी के जल स्तर में महज 20 सेंटीमीटर की कमी आई है. वर्तमान में गंगा नदी 32.90 सेंटीमीटर पर बह रही है. पिछले 24 घंटे में नदी के जल स्तर में कमी नहीं आई है. नदी खतरे के निशान 31.60 से 130 सेंटीमीटर अभी भी ऊपर है. नदी के जल स्तर में तीव्रता से कमी नहीं आने के कारण इलाके में दहशत का माहौल है.

गोपालपुर प्रखंड में इस्माईलपुर बिंद टोली के बीच स्पर नो एवं छह पर नदी के हो रहा कटाव स्थिर है. हालांकि उक्त स्थानों पर जल संसाधन विभाग के द्वारा कटाव निरोधी कार्य किया जा रहा है. रविवार को स्पर के डाउन स्ट्रीम में हो रहे कटाव को नियंत्रित कर लिया गया है. जल स्तर में कमी नहीं आने से बांध पर नदी का काफी दबाव बना हुआ है. बिहपुर प्रखंड के नरकटिया नहंकार जमींदारी बांध पर भी नदी का कटाव नियंत्रण में था. जल संसाधन विभाग के द्वारा वहां पर लगातार कटाव निरोधी कार्य किया जा रहा है.

कटाव स्थल पर जल संसाधन विभाग के अभियंता कैम्प कर बचाव कार्य मे लगे हुए. कटाव स्थल पर इलाके के ग्रामीण भी लगातार निगरानी कर रहे हैं. नरकटिया में बांध के कट कर नदी में समा जाने के बाद नरकटिया के दर्जनों लोगों का घर कटाव के मुहाने पर आ गया है. नदी के जल स्तर में कमी नही आने से लोग डरे सहमे है. नदी का दबाव बांध पर बना हुआ है. वहीं दिन रात बांध की निगरानी भी की जा रही है. मालूम हो की गंगा एवं कोसी नदी में उफान के बाद नवगछिया अनुमंडल के सभी सातों प्रखंड के 75 गांव की डेढ़ लाख की आबादी पिछले दस दिनों से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं.

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बाढ़ पीड़ित पानी के बीच रह रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों की कई परेशानियां है. हालांकि प्रशासन द्वारा रहत की व्यवस्था करने का दावा किया जा रहा है. बाढ़ पीड़ितों के लिए सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है. लेकिन प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था बाढ़ पीड़ितों की परेशानियों को कम नहीं कर पा रही न ही भूख मिटा पा रही है. बाढ़ पीड़ित अपने हालात पर बांध, सड़क एवं स्कूलों व घर की छतों पर रह रहे हैं. जहां बाढ़ पीड़ितों को न शुद्ध जल मिल रहा है न शौचालय की सुविधा है और न ही स्वास्थ्य कैम्प की व्यवस्था है. बाढ़ पीड़ित गंदगी और पानी के बीच रहने को विवश हैं.