नवगछिया के सात प्रखंडों को आर्सेनिक प्रभावित प्रखंड घोषित किए पांच माह बीत गए हैं। इसके साथ करीब चार अरब रुपए की स्वीकृति भी हो गई है। लेकिन नवगछिया अनुमंडल की आठ लाख की आबादी को शुद्ध पानी पिलाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और उसके मेंटनेंस के लिए अब तक एजेंसी नहीं मिल सकी है। इसके लिए एजेंसी नहीं मिलने से दो बार टेंडर रद्द किए जा चुके हैं और तीसरी बार टेंडर निकाला गया है। अब यह 20 फरवरी को खुलेगा। लेकिन इस बार भी एजेंसी के मिलने की संभावना कम लग रही है। ऐसी स्थिति में अनुमंडल के लोगों को कब शुद्ध पेयजल मिलेगा, यह बतानेवाला कोई नहीं है। इन सातों प्रखंडों में 706 वार्डों में ट्रीटमेंट प्लांट, पाइप लाइन, बोरिंग से लेकर हाउस कनेक्शन तक का काम होना है। पहले जहां 13 से 15 लाख रुपए से एक वार्ड में काम होना था। बाद में उसे बढ़ाकर 45 से 50 लाख रुपए किए गए। इसके बाद ही इस काम के लिए एजेंसी नहीं मिल पा रही है।

नवगछिया, खरीक, बिहपुर, नारायणपुर, गोपालपुर, इस्माइलपुर और रंगरा प्रखंड हैं आर्सेनिक व आयरन प्रभावित
बीते सितंबर में ही घोषित किया गया था आर्सेनिक प्रभावित इलाका

नवगछिया, खरीक, बिहपुर, नारायणपुर, गोपालपुर, इस्माइलपुर और रंगरा प्रखंड को आर्सेनिक व आयरन प्रभावित ब्लॉक बीते सितंबर में ही घोषित किया जा चुका है। पहले यह काम मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में हर घर नल का जल के तहत पंचायत को करना था। लेकिन बाद में इसे पीएचईडी को दिया गया। आर्सेनिक प्रखंड घोषित करने से पहले पीएचईडी के इंजीनियरों से उन इलाके के पानी के नमूने लेकर जांच कराई गई, जिसमें पाया गया कि पानी में आयरन व आर्सेनिक है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत सामान्य तौर पर पानी पहुंचाने की योजना से लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलेगा। इसके बाद ही पानी के ट्रीटमेंट के साथ लोगों के घरों तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया। फिर उन प्रखंडों में ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। बता दें कि एजेंसी को ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के साथ पांच साल तक उसका मेंटनेंस भी करना है।

आर्सेनिक खत्म करने को नवगछिया के प्रखंडों में ऐसे ही लगने हैं प्लांट।
डीएम के निर्देश के बाद 405 वार्डों में हुआ काम लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है

आर्सेनिक प्रखंड घोषित करने का जब प्रस्ताव तैयार किया गया था तो उसी वक्त प्रशासनिक स्तर पर यह निर्णय लिया गया कि अब वहां पंचायत के तहत हर घर नल का जल योजना से काम नहीं होगा। इसके लिए डीएम ने निर्देश भी जारी कर दिया। इसके बाद भी नवगछिया समेत बाकी प्रखंडों के 405 वार्डों में कर किया गया। इसके बाद इसकी जांच के लिए टीम बनाई गई। लेकिन अब तक इसकी जांच भी पूरी नहीं हो सकी है। हालांकि इंजीनियर के मुताबिक अब जल्द ही जांच पूरी कर ली जाएगी। पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने पूर्व में ही निर्देश जारी किया है कि जांच पूरी होने के बाद ही उसे पीएचईडी को हैंडओवर किया जाएगा।

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हर वार्ड में 15 लाख से एस्टीमेट बढ़ाकर 55 लाख किया गया

गंगा पार के सात प्रखंडों में कहीं पानी में आर्सेनिक तो कहीं फ्लोराइड तो कहीं आयरन है। इसके लिए अलग-अलग डीपीआर तैयार किया गया। पहले जहां बिना ट्रीटमेंट के पानी पहुंंचाने के लिए एक वार्ड के लिए 13 से 15 लाख तक का डीपीआर बनाया गया था। लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट के साथ उसका एस्टीमेट बढ़ाया गया। इसमें आर्सेनिक वाले वार्ड में 45-50 लाख तो आयरनवाले वार्ड में 55-57 लाख रुपए का डीपीआर तैयार किया गया। इसको लेकर शुरुआती दौर में ट्रायल के तौर पर केवल 41 वार्डों के लिए डीपीआर बनाया गया। इस पर काम होने से न केवल पानी का ट्रीटमेंट कर उसे लाेगों के घरों तक पहुंचाना है, बल्कि पांच साल तक उसका मेंटनेंस करने की भी योजना है। फिलहाल, इलाके के लोग आयरनयुक्त पानी पी रहे हैं। साथ ही उन इलाकों में आर्सेनिक है। दूषित पानी पीने से लोग कई तरह की बीमारियों के भी शिकार हो रहे हैं।