प्रखंड के गंगा व कोसी के कटाव से बेघर हुए विस्थापितों ने सोमवार को पुनर्वास की मांग को लेकर अंचल कार्यालय परिसर में धरना दिया। आक्रोशित पीड़ित परिवारों ने एकजुटता का परिचय देते हुए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

विस्थापितों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि 15 दिन में पुनर्वास के लिए पहल नहीं की गई तो हम जोरदार आंदोलन करेंगे। धरना में गंगा दियारा के राघोपुर, खैरपुर, काजीकौरैया, हरिजन टोला नवादा, फरीदपुर समेत कोसी इलाके के चोरहर, विश्वपुरिया, ढोडिया, कालूचक, नवटोलिया आदि गांव के हजारों पीड़ित परिवार शामिल थे। धरना में मौजूद सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि हमलोग बीते डेढ़ दशक से जानवर से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं। किन्तु स्थानीय प्रशासन अब तक हमारे जख्मों पर झूठा मरहम लगाता रहा है।

विस्थापितों ने कहा कि अब हमारा सब्र का बांध टूट गया है। विस्थापितों की मांग है कि प्रत्येक परिवार को पांच-पांच डिसमिल जमीन का बासगीत पर्चा प्रशासन 15 दिन में मुहैया कराए। इसके अलावा वर्तमान में जहां रहकर गुजर-बसर कर रहें हैं वहां तत्काल शुद्ध पेयजल, बच्चों के लिए समुचित शिक्षा की व्यवस्था की जाए। विस्थापितों ने कहा कि हम 15 दिन बाद आंदोलन शुरू करेंगे। जिसकी शुरुआत नवगछिया एसडीओ के दफ्तर से होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमोद मंडल एवं संचालन अभिनंदन मंडल ने किया। मौके पर त्रिदेव यादव, विपिन निषाद, नवीन कुमार ठाकुर, सुनील कुमार, बद्री राम, साजन मंडल, शंभू यादव, अनिल राम, चन्द्र ऋषिदेव, आनंदी, पार्वती देवी, कवयित्री देवी, सोनी देवी समेत बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार शामिल थे।

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15 साल से रेलवे किनारे झोपड़ी में रह रहे हैं विस्थापित

प्रखंड के कोसी और गंगा के कटाव से बेघर हुए विस्थापित 15 साल से रेलवे के किनारे झोपड़ी में दिन गुजार रहे हैं। यहां इनके लिए न पीने के पानी की व्यवस्था है और ही शौचालय। विस्थापितों का कहना है कि अक्सर शौच के दौरान हमें लज्जित होना पड़ता है। बरसात और जाड़े में टूटी-फूटी झोपड़ी में हमें काफी दिक्कत होती है। लेकिन प्रशासन अब तक हमारी ओर ध्यान नहीं दे रहा है।