अनुमंडलीय संतमत सत्संग का 38वां वार्षिक अधिवेशन श्रीपुर में रविवार को आरंभ हुआ। सुबह छह बजे स्वामी भागीरथ बाबा ने सत्संग का आरंभ अस्तुति विनती के साथ की। प्रथम सत्र में सुबह छह बजे से दस बजे स्तुति विनती व प्रवचन हुआ। इसके बाद आरती के साथ प्रथम सत्र का सत्संग संपन्न हुआ। इसके बाद सत्संग दो बजे से आरंभ हुआ एवं संध्या छह बजे आरती के साथ संपन्न हुआ। सत्संग में प्रवचन के दौरान स्वामी भागीरथ बाबा ने कहा कि मानव जीवन सौभाग्य से प्राप्त होता है।

मानव जीवन प्राप्त करने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। मानव जीवन भगवान की भक्ति करने के लिए है। लेकिन सांसारिक मोह माया में आकर मनुष्य उलझ जाते हैं। सांसारिक मोह माया से दूर रहने एवं ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने के लिए सत्संग ही मात्र विकल्प है। सत्संग करने से ही मौक्ष की प्राप्ति संभव है। मनुष्य अपने अंदर के।अंधकार में उलझ कर रह जाता है जिसके कारण वह गलत संगत में पड़ कर व्यहविचारी हो जाता है। जो मनुष्य उस अंधकार को पार कर अपने तन के अंदर के उजाले को पहचान लेता है उसे ईश्वर की प्राप्ति होती है। सत्संग को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

सीमावर्ती जिले से भी पहुंचे हजारों श्रद्धालु

सत्संग में आसपास के जिलों से भी हजारों सत्संग प्रेमी पहुंचे हुए थे। वहीं सोमवार को स्वामी हरिनंदन परमहंस महाराज, गुरु सेवी स्वामी भागीरथ महाराज, स्वामी प्रमोद बाबा व अन्य संतों का प्रवचन होगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, दिलीप कुमार सिंह, सकलदेव सिंह, कमलेश्वरी सिंह, माला सिंह, लाल बिहारी सिंह, कुलदीप प्रसाद सिंह, भगत सिंह, बजेश सिंह, ज्ञानसक कुमार सिंह, नवीन सिंह, नागेश्वर सिंह, मुरलीधर, मुरारी, मृत्युंजय सहित श्रीपुर ग्रामवासी सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं।

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