आपको यह बात सुनने में शायद थोड़ी अजीब लगे कि धरती ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के नाम पर 3000 हटा सोना दिया है। सांकेतिक रूप से देखें तो यह बात पूरी तरह से सही है। इस बात का जिक्र रामचरित मानस में भी मिलता है। लेकिन सबसे पहले आपको बताते हैं कि मामला क्या है। दरअसल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में सोने का बहुत बड़ा भंडार मिला है। आगे हम आपको बताएँगे कि सोने के इस भंडार का राम के साथ क्या रिश्ता है। पहले आपको बताते हैं कि सोने की खोज कैसे हुई। भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने सोनभद्र जिले में दो जगहों पर करीब 3000 टन सोने का अयस्क खोजा है।
इससे करीब डेढ़ हजार टन सोना निकाला जा सकेगा। इसके अलावा 90 टन एंडालुसाइट, 9 टन पोटाश, 19 टन लौह अयस्क और करीब 10 लाख टन सिलेमिनाइट के भंडार की भी खोज हुई है। जिले में अभी कुछ और जगहों से सोना निकलने का अनुमान जताया गया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार अकेले सोनभद्र में लगभग 5200 टन सोना निकल सकता है। फिलहाल अभी तक मिले भंडार की जियो टैगिंग का काम शुरू कर दिया गया है और केंद्र सरकार इस सोने के खनन के ठेके जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
देश के स्वर्ण भंडार का पांच गुना सोना
अब तक जितना सोना ज़मीन के अंदर मिला है वो देश के कुल स्वर्ण भंडार यानी गोल्ड रिज़र्व का लगभग पाँच गुना है। भारत में अभी 618 टन सोना रिज़र्व के तौर पर रखा गया है। जितना सोना अभी तक ज़मीन में पाया गया है उसकी आज के हिसाब से क़ीमत 12 लाख करोड़ रुपये के आसपास बैठेगी। अगर इसे जोड़ दिया जाए तो भारत दुनिया की नंबर-दो स्वर्ण अर्थव्यवस्था बन जाएगी। अभी अमेरिका सबसे आगे है, जिसके पास 8134 टन सोने का भंडार बतौर रिज़र्व रखा गया है। फ़िलहाल जीएसआई प्राथमिकता के आधार पर पूरे इलाक़े में ज़मीन की मैपिंग का काम कर रहा है। जियो टैगिंग का काम भी आख़िरी चरण में है। जिला प्रशासन ने कुछ अन्य ज़मीनें माँगी गई हैं जहां पर खोज का काम जारी रखा जाएगा। यूपी का सोनभद्र जिला बिजली उत्पादन के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा होने के बावजूद ये अब तक काफ़ी पिछड़ा हुआ है।
सोने के साथ है सोनभद्र का कनेक्शन
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सोनभद्र का नाम दरअसल सोने के नाम पर ही पड़ा था। संस्कृत में सोन सोने को और भद्र घाटी को कहते हैं। हज़ारों साल पहले से भारतीयों को पता था कि इस जगह पर सोने का भंडार दबा है। इसी कारण इसे सोनांचल भी कहा जाता रहा है। लेकिन पिछले दो-तीन सौ साल में सोनभद्र में सोना मिलने की कोई जानकारी नहीं है। यहाँ की पुरानी लोककथाओं में भी कहा जाता रहा है कि भगवान ने सोनभद्र की ज़मीन में सोने का भंडार रखा है।
यह बात पूरी तरह से सही साबित हुई जब जीएसआई की खोज में सोनभद्र की सोन पहाड़ी पर 2943 टन और हरदी ब्लॉक में 646 किलो सोने का भंडार ज़मीन के अंदर दबा हुआ पाया गया। जीएसआई की टीम ने 2005 में यहाँ खनिजों की खोज शुरू की थी। सोने के भंडार होने की पुष्टि 2012 में हुई। लेकिन पहली बार अब जाकर पता चला कि सोने का भंडार शुरुआती अनुमानों से काफ़ी अधिक है। जिले में यूरेनियम के भंडार का भी अनुमान है, इसके लिए भी खोज जारी है।
राम मंदिर के साथ सोने का क्या संबंध?
सोनभद्र और मीरजापुर के ये इलाक़े विंध्याचल के नाम से जाने जाते हैं। यहाँ मशहूर विंध्यवासिनी देवी का मंदिर भी है। कहा जाता है कि वनवास के दिनों में भगवान राम ने यहाँ के जंगलों में काफ़ी समय बिताया था। यह जगह अयोध्या से क़रीब 300 किलोमीटर दक्षिण में है। इस इलाक़े में ऐसे ढेरों मंदिर और स्थान मिलते हैं जिनका संबंध रामायण काल से जोड़ा जाता है। अब जब 500 साल बाद अयोध्या में दोबारा भगवान राम के वैभव की स्थापना होने जा रही है कई लोग सोने की खोज को प्रकृति के अनमोल उपहार के तौर पर देख रहे हैं। क्योंकि यह भी सच है कि अब से पहले यहाँ सोने की ख़बरें तो आई थीं लेकिन पूरी तरह से जानकारी सामने नहीं आई थी। लेकिन जो बात सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली है वो यह कि तुलसीदास की लिखी रामचरित मानस में रामराज्य की महिमा का बखान करते हुए एक चौपाई है:
प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी, जगदातमा भूप जग जानी।
सरिता सकल बहहिं बर बारी, सीतल अमल स्वाद सुखकारी॥
इस चौपाई का मतलब है कि समस्त जगत के आत्मा भगवान राम को राजा जानकर पर्वतों ने अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर दीं। सब नदियाँ श्रेष्ठ, शीतल, निर्मल और सुखप्रद स्वादिष्ट जल बहाने लगीं।
ज़ाहिर सी बात है कि यह सोना शायद राम मंदिर में सीधे इस्तेमाल न हो। लेकिन ऐसे समय में जब भगवान राम के मंदिर की पुनर्स्थापना होने जा रही है, हर कोई इस महान कार्य में अपना-अपना योगदान देने के लिए उतावला है। ऐसे में धरती माता ने भी अयोध्या के पास ही उस जगह से सोना उगला है जहां के बारे में हमारे पूर्वज जानते तो हज़ारों से थे, लेकिन सोना निकलने के लिए सही मुहूर्त अब जाकर आया है।
माता सीता को धरती की पुत्री माना जाता है। इस हिसाब से भगवान राम के साथ धरती माता का एक आत्मीय रिश्ता भी है। जानिए उस जगह के बारे में जिसके लिए कहा जाता है कि वहीं पर सीता माता धरती में समा गई थीं।