पटना। बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की समान काम समान वेतन के मांग पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई हुई। इस फैसले को लेकर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है और उन्हें समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए।
शिक्षक संगठन के वकील ने मंगलवार को कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या नियोजित शिक्षक टीईटी पास हैं? तो शिक्षक संगठन के वकील ने कहा कि हां पास हैं। हालांकि, आज की बहस समाप्त हो गई है। इस मामले पर अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
पिछले गुरुवार को बिहार सरकार की ओर से बहस पूरी
बता दें कि बिहार के करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों है। जो पिछले कई दिनों से समान काम समान वेतन के मांग कर रहे थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के बाद फैसला आया है। इस मामले में 7 अगस्त से लगातार चल रही सुनवाई में पिछले गुरुवार को बिहार सरकार की ओर से बहस पूरी हो गई।
पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हक में सुनाया था फैसला
गौरतलब है कि समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया था।
सरकार की तरफ से पूरी हो चुकी है बहस
सरकार के हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा है कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है। बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने सही ठहराया है। गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 फीसद राशि केंद्र सरकार को ही देना है।
शिक्षकों को हक में फैसला आने की है उम्मीद
इधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षक संघों में भी खासी गहमागहमी देखी जा रही है। इस फैसले को लेकर राज्य के नियोजित शिक्षकों की निगाहें टिकी है। बिहार माध्ममिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने उम्मीद जताई है कि फैसला नियोजित शिक्षकों के हक में आएगा।