माघ कृष्ण अमावस्या आज ध्वज योग में मनेगी। इसे मौनी अमावस्या भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और पितरों को तर्पण करने से भी अधिक महत्व मौन धारण कर भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से कई गुना पुण्य मिलता है। मौन साधना जहां मन को नियंत्रित करने के लिए होती है, वहीं इससे वाक् शक्ति बढ़ती है। पंडितों का कहना है कि जिन लोगों के लिए पूरा दिन मौन धारण करना मुश्किल है वे सवा घंटे का भी मौन व्रत रख लें, तो उनके विकार नष्ट होंगे और एक नई ऊर्जा मिलेगी। लोगों को स्नान के बाद सामर्थ के अनुसार दान करना चाहिए।
मनु ऋषि से मौनी की उत्पत्ति यह भी मान्यता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसी वजह से इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। कई धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख किया गया है। इस दिन मौन धारण करने का महत्व भी बताया है।

कई लोग गंगा में स्नान कर करेंगे तर्पण : इस दिन लोग गंगा नदी व तालाबों में स्नान करने जाएंगे। कई मंदिरों में जाकर देव दर्शन और दान-पुण्य करेंगे।
मान्यता : व्रत रखकर मौन रहने पर मुनि जैसा मिलता है सम्मान
पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें :ज्योतिषियों के मुताबिक इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए। पीपल को अर्पित किया गया जल देवों और पितरों को ही अर्पित होता है।
आज रात 11:59 बजे तक अमावस्या :ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार मिश्रा के अनुसार अमावस्या 11 फरवरी की रात 12: 36 बजे तक रहेगी। इसे मौनी अमावस्या कहते हैं, इसलिए कुछ समय मौन अवश्य रखना चाहिए। मौन रहने से हमारे मन व वाणी में ऊर्जा का संचय होता है।