शहरी क्षेत्र में 110 से अधिक प्रतिमा से स्थापित होती है। इसमें विसर्जन शोभायात्रा में 89 प्रतिमा शामिल होती है। पंडित सौरभ कुमार मिश्रा के बताया कि स्वाति नक्षत्र व सौभाग्य योग में इस बार मां काली की पूजा जायेगी। 14 नवंबर शनिवार को रात्रि सिंह लग्न में मां काली की प्रतिमा वेदी पर स्थापित होगी। शनिवार को अमावस्या होने के कारण इस बार काली पूजा का विशेष महत्व तथा अभीष्ट सिद्धि को देने वाली होगी।

इस दिन अमावस्या तिथि 14 नवंबर शनिवार को दिन में 1:49 मिनट में प्रवेश करेगा जो 15 नवंबर को दिन में 11:32 तक रहेगा। उन्होंने बताया कि इसी दिन लक्ष्मी,गणेश, कुबेर आदि पूजन भी होगी। 14 नवंबर को दिवाली का प्रसिद्ध पर्व तथा काली पूजा भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मां काली की प्रतिमा सिंह लग्न में मां 11:44 रात्रि से 1:58 तक बेदी पर स्थापित होगी। इधर कालीपूजा महासमिति के अध्यक्ष ब्रजेश साह ने बताया कि पूजा की तैयारी शुरू हो गयी है। एक नवम्बर को आमसभा का आयोजन किया जायेगा। जिसके बाद नयी कमेटी काम करना शुरू कर देगी।

ेकई नाम से जानी जाती है मां

भागलपुर में मां काली कई नाम से जानी जाती है। परबत्ती, इशाकचक, हबीबपुर, मोमिन टोला में बुढ़िया काली, रिकाबगंज में नवयगी काली, उदू बाजार व बूढ़ानाथ में मसानी काली के नाम से पुकारा जाता है। काली पूजा समिति के सदस्य विनय कुमार सिन्हा ने बताया कि काली पूजा के दौरान बूढ़ानाथ में आस्था का नजार दिखता है। यहां एक किलोमीटर की अंदर बमकाली, ओमकार, मसानी काली, उपकार काली, बरमसिया काली, रति काली, जुबली काली, अम्बेडकर काली की प्रतिमा स्थापित होती है। उन्होंने बताया कि भागलपुर में 1954 में 36 जगहों पर ही मां काली की पूजा होती थी। अब 110 से अधिक जगहों पर प्रतिमा स्थापित होगी।

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श्मशान की मिट्टी से हुई काली की स्थापना

उर्दू बाजार स्थित मसानी काली की पूजा सौ साल से अधिक समय से हो रही है। समिति से जुड़े राजकुमार यादव ने बताया कि यहां पर काली की प्रतिमा की स्थापना श्मशान की मिट्टी से हुई थी। इसलिए मसानी काली के नाम से मां को जाना जाता है।