नवगछिया : भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही सभी तीथरे एवं व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है। उक्त बातें रंगरा के भवानीपुर में काली मंदिर परिसर में आयोजित श्रीश्री 108 शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में स्वामी आगमानंद जी महराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि सतयुग, त्रेता तथा द्वापर में तो मनुष्य के लिए अनेक धर्म-कर्म थे।

किंतु कलियुग में तो पुराण सुनने के अतिरिक्त कोई अन्य धार्मिक आचरण नहीं है। कलियुग मनुष्यों के कल्याण के लिए ही श्रीव्यास जी ने पुराण अमृत की सृष्टि की। कथा सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी। मंदिर परिसर में भक्ति ज्ञान की गंगा बह रही थी।

देर रात तक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज भागवत कथा का रसपान श्रद्धालुओं को कराते रहे। कथा के दौरान बीच-बीच में कलाकारों द्वारा भक्ति भजन का भी आयोजन किया जाता रहा। सुबह में श्रद्धालुओं की भीड़ ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।

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आचार्य कौशलजी के नेतृत्व में यज्ञ स्थल पर बेदी पूजन हवन का कार्यक्रम हुआ। मौके पर पंडित दीपक मिश्र, यज्ञ कमेटी के अध्यक्ष सुबोध यादव, आदि समेत हजारों श्रद्धालु मौजूद थे।