बिहार में सिपाही के 9900 पदों पर इस साल हुई बहाली में फर्जीवाड़े का नया और बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सिपाही के पद पर चयनित हो चुके दो सौ से ज्यादा अभ्यर्थियों की चालाकी चयन पर्षद ने ज्वाइनिंग से ठीक पहले पकड़ ली। अगर थोड़ी भी चूक होती तो ये सिपाही बन गए होते, लेकिन अब इन्हें फर्जीवाड़े के आरोप में जेल जाना होगा।

पिछले वर्ष सिपाही के 9900 पदों के लिए विज्ञापन निकला था। इसके लिए लाखों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। पिछले वर्ष ही लिखित परीक्षा आयोजित हुई। वहीं इस वर्ष शारीरिक परीक्षा के बाद सफल अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। रिजल्ट जारी करने के पहले केन्द्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) जब कागजात की पड़ताल कर रहा था तो मेरिट लिस्ट में आए 417 अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर नहीं मैच हो रहे थे। शक था कि इनकी जगह लिखित परीक्षा किसी और ने दी है। इन अभ्यर्थियों को बुलाया गया और उनसे हस्ताक्षर के साथ लिखावट के नमूने लिए गए।

आशंका होने पर रोक दिया गया था 233 का रिजल्ट

चयन पर्षद द्वारा तैयार मेरिट लिस्ट में इन 233 अभ्यर्थियों का चयन सिपाही पद के लिए हो गया था, लेकिन गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए इनके रिजल्ट को पेंडिंग में रखा गया था। पुलिस प्रयोगशाला की रिपोर्ट आने के बाद चयन पर्षद के अध्यक्ष सह एडीजी जितेन्द्र कुमार के आदेश पर इनके खिलाफ गर्दनीबाग थाना में एफआईआर दर्ज करा दी गई है।

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प्रयोगशाला में जांच से खुला मामला

शक के आधार पर चयन पर्षद ने परीक्षा के दौरान दिए गए हस्ताक्षर और ओएमआर सीट पर मौजूद लिखावट के साथ अभ्यर्थियों से लिए गए नमूने को सीआईडी के अधीन पुलिस प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा। यहां विशेषज्ञों द्वारा लिखावट की जांच की जाती है। 417 में 233 अभ्यर्थियों की जांच रिपोर्ट आई तो शक यकीन में बदल गया, क्योंकि एक भी अभ्यर्थी की लिखावट या हस्ताक्षर मैच नहीं हुआ। इनमें 229 की रिपोर्ट स्पष्ट है जबकि बाकी के चार में संशय है, लिहाजा उनके संबंध में विशेषज्ञों की राय दोबारा ली जाएगी।