बिहार सरकार के प्रदर्शन करने वालों को सरकार नौकरी नहीं मिलेगी के आदेश पर बवाल मच गया है. सरकार के इस फैसले की आलोचना अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी की है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लेख लिखकर बिहार सरकार के इस आदेश पर सवाल उठाया है. वहीं अमेरिकी अखबार की खबर के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है.

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) ने भारत में आंदोलन पर सरकार की प्रतिक्रिया को एक पैटर्न बताया है. साथ ही अखबार ने कहा है कि भारत में मिले विरोध प्रदर्शन के लोकतांत्रिक अधिकार को एक पैटर्न के तहत खत्म किया जा सकता है. इस लेख में अमेरिकी अखबार ने उत्तराखंड सरकार के सोशल मीडिया पर निगरानी और बिहार सरकार द्वारा हाल ही मेंं जारी एक आदेश को हवाला दिया है.

क्या था सरकारी आदेश- बिहार सरकार ने बीते दिनों एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था किसी भी तरह के प्रदर्शन, धरना या सरकार के विरोध में आंदोलन करने वालों को सरकारी विभाग में नौकरी नहीं दी जाएगी. इसके अलावा, इस तरह के लोगों को सरकारी ठेका भी नहीं मिलेगा.

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लोजपा ने किया अटैक- वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख को हवाले से लोजपा ने सरकार पर अटैक किया है. लोजपा ने ट्वीट कल लिखा, ‘अमेरिका के अखबार The New York Times में महात्मा गांधी के विचारों का गला घोट कर हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के विचारों से प्रेरित बिहार प्रदेश प्रशासन के बेहद कायरना फरमान की चर्चा की है. नीतीश सरकार के खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने के लिए जारी बेतुके फरमान की चर्चा विश्व भर हो रही है.’

तेजस्वी ने भी उठाया सवाल- बिहार सरकार के इस आदेश पर तेजस्वी यादव ने भी सवाल उठाया है. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि गांधीवाद की दिखावटी बात करने वाले जेपी आंदोलन से निकले कथित नेता की तानाशाही के चर्चे और पर्चे अब विदेशों में छप रहे है. सोशल मीडिया पर लिखने से जेल,धरना-प्रदर्शन करने पर नौकरी से वंचित करने के तुगलकी फरमान सुनाए जा रहे है. लोकतंत्र की जननी बिहार को NDA सरकार अपमानित कर रही है.