पटना हाईकोर्ट सहित सूबे की सभी अदालतों में वेलफेयर स्टांप की बिक्री ई-स्टांपिंग से की जाएगी। इसकी बिक्री के लिए संबंधित कंपनी से एकरारनामा हो चुका है। अदालतों में जहां से ई-कोर्ट फीस की बिक्री की जाती है, वहीं से ई-वेलफेयर स्टांप की बिक्री की जाएगी।

यह जानकारी राज्य के महाधिवक्ता सह बिहार स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन ललित किशोर ने दी है। रविवार को बार काउंसिल भवन में चेयरमैन ने स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बताईं। बताया कि राज्य के वकीलों के कल्याण एवं जिला बार एसोसिएशन के विकास के लिए राज्य सरकार अपने सालाना बजट में 10 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान कर रही है। वकीलों की मांग पर मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री ने गंभीरता से विचार कर अपनी सहमति दे दी है।

कीमत बढ़ाई गई : उन्होंने बताया कि एडवोकेट वेलफेयर स्टांप की कीमत 15 रुपये से बढ़ा कर 25 रुपये कर दी गई है। अभी 25 रुपये का स्टांप नहीं होने के कारण लोगों को 15-15 रुपये के दो स्टांप देने पड़ते थे। अब ई-वेलफेयर स्टांप आ जाने से 25 रुपये से ही काम चल जाएगा।

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जाली स्टांप की बिक्री पर लगेगी लगाम: ई-वेलफेयर स्टांप आ जाने से जाली स्टांप की बिक्री पर लगाम लग जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ई वेलफेयर स्टांप का जाली करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। यहां तक कि ई-स्टांपिंग की फोटोकॉपी करने पर उस पर डुप्लीकेट लिखा हुआ आ जाता है।

वकीलों के कल्याण के लिए है वेलफेयर स्टांप: राज्य सरकार वकीलों के कल्याण पर खर्च करने के लिए वेलफेयर कानून 1983 में लाई थी। 1984 में नियम बना और वेलफेयर स्टांप सिस्टम 1985 में लागू हुआ था। जब इसे लागू किया गया, उस समय इसकी कीमत ढाई रुपये थी। वर्ष 2001 में इसकी कीमत 5 रुपये कर दी गई। इसके बाद वर्ष 2015 में कीमत 15 रुपये और वर्ष 2019 में इसकी कीमत 25 रुपये कर दी गई।

ढाई रुपये के वेलफेयर स्टांप की बिक्री पर प्रत्येक वर्ष करीब तीन करोड़ रुपये की आय होती थी। जब इसकी कीमत पांच रुपये की गई तो सलाना लगभग 6 करोड़ रुपये आय होने लगी। जब कीमत 15 रुपये हुई तो 11 करोड़ रुपये की आय होने लगी। अब 25 रुपये कीमत होने के कारण आय 30 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है।