नवगछिया ; मोहन पोद्दार, बिहपुर प्रखंड के लत्तीपुर गांव स्थित मां काली मंदिर का इतिहास 200 वर्ष पुराना है। मंदिर में वैदिक विधि विधान से पूजा-अर्चना होती है। जो भक्त सच्चे मन से मैया के दरबार में आता है, मैया उसकी सभी मुरादें पूरी होती है। मान्यता है कि मैया के दरबार में आने से सूनी गोद भी आबाद हो जाती है।

जिस बच्चे का जन्म मैया की कृपा से होता है परिजन मंदिर में ढोल बाजे के साथ आकर उसका मुंडन करवाते हैं। बता दें कि यह मंदिर शक्तिपीठ के नाम से पूरे इलाके में प्रसिद्ध है। यहां हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मंदिर के पुजारी शंभू झा बताते हैं की मैया की महिमा आलौकिक है।

जो भक्त मैया के दरबार में सच्चे मन से आता है, मैया उसकी सभी मनोकामना पूरी करती है। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर की रात 12 बजे मैया की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 9 को प्रतिमा का विसर्जन होगा। इस दौरान मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा।

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मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। गांव के बुजुर्ग सुखदेव यादव कहते हैं कि यह मंदिर बहुत पुराना है। यहां पहले बलि देने की प्रथा थी, लेकिन करीब 100 वर्ष पूर्व गांव के ही लुचो गोढी ने यह प्रथा समाप्त करवा दिया था। उसके बाद से ही यहां केवल पूजा-अर्चना होती है।