पटना एसटीएफ व नवगछिया पुलिस की बिहपुर के गरैया दियारा में कार्रवाई में कोसी दियारा के कुख्यात और 25 हजार के इनामी शबनम यादव के अलावा उसके दाे साथी खगड़िया जिले के बेलदौर के श्रवण यादव और खगड़िया के ही शेरबासा के वकील यादव भी पकड़े गए। शबनम यादव हत्या, लूट, रंगदारी, आर्म्स एक्ट मामलों में 10 साल से फरार चल रहा था।
उसका मुख्य पेशा कोसी और गंगा दियारा की जमीन पर कब्जा करना, किसानों से रंगदारी लेना व लूटपाट करना था। विरोध करने पर वह हत्या कर लोगों का मुंह बंद कर देता था। दियारा के करीब पौने दो सौ एकड़ जमीन पर उसका कब्जा था। दियारा में मवेशी चराने जाने वाले पशुपालकों से भी एक हजार रुपए प्रति मवेशी रंगदारी लेता था। वह दियारा के कोल ढाबों पर मछुआरों से भी वसूली करता था।

गिरफ्तारी से बचने को 10 से 15 दिन में बदल लेता था ठिकाना
गिरफ्तारी से बचने के लिए शबनम यादव हर 10 से 15 दिन में जिले की सीमा से दूसरे जिले की सीमा में प्रवेश कर जाता था। दस वर्षों में पुलिस ने जब भी उसके ठिकाने पर छापेमारी की तो उसे सूचना पहले ही मिल जाती थी और वह आसानी से सुरक्षित ठिकाने की ओर भाग जाता था। मधेपुरा पुलिस ने छापेमारी की तो वह नवगछिया पुलिस जिले के क्षेत्र में आ जाता था और जब नवगछिया पुलिस छापेमारी करती थी तो मधेपुरा भाग जाता था।
हत्या, लूट, रंगदारी, आर्म्स एक्ट के 13 मामले हैं दर्ज
गिरफ्तार शबनम यादव पर नवगछिया, भवानीपुर और नदी थानों में हत्या, लूट, रंगदारी, चोरी, जानलेवा हमले के 13 मामले दर्ज हैं। जानकारी मिली है कि मधेपुरा और खगड़िया के कुछ थानों में भी उसके विरूद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं। भवानीपुर थाना में उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, आर्म्स एक्ट, हत्या का प्रयास, छिनतई के 8 मामले दर्ज हैं। वहीं नवगछिया थाना में डकैती के एक,नदी थाना में रंगदारी, चोरी छिनतई के मामले दर्ज हैं।
छापेमारी टीम में ये पुलिस अधिकारी थे शामिल
छापेमारी टीम में एसटीएफ के अलावा, एसडीपीओ दिलीप कुमार, बिहपुर सर्किल इंस्पेक्टर नर्वदेश्वर चौहान, रंगरा थानाध्यक्ष माहताब खान, खरीक थानाध्यक्ष पंकज कुमार, भवानीपुर थानाध्यक्ष नीरज कुमार के साथ भारी संख्या में इन थानों के जवान शामिल थे। शबनम यादव की गिरफ्तारी के बाद दियारा के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों ने राहत की सांस ली है।
नारायणपुर के कुख्यात ध्रुव यादव की जेल में मौत के बाद संभाली थी गिरोह की कमान
काफी कम उम्र में अपराध का दामन थामने वाले शबना यादव अपने सगे भाई संजय यादव से अपराध का कहकहरा सीखा था। जब जातिगत हिंसा और संगठित अपराध में पूरा बिहार जल रहा था तो उस समय संजय यादव फैजान गिरोह की कमान संभाल रहा था। संजय यादव की उम्र ढलान पर आयी तो गिरोह की कमान शबनम ने संभाल ली थी। 2009 -2010 तक वह सहयोगी ध्रुवा यादव के साथ गिरोह का विस्तार किया। ध्रुव यादव की गिरफ्तारी के बाद बीमारी के कारण उसकी जेल में ही मृत्यु हो गयी। इसके बाद शबनम यादव ने कोसी दियारा में ऐसी जगह को अपना ठिकाना बनाया जहां की भौगोलिक बनावट का उसे फायदा मिले। 2018 में पसराहा के तत्कालीन थानाध्यक्ष के शहीद होने के बाद मुख्य आरोपी दिनेश मुनि को संरक्षण देने वालों में शबनम यादव का नाम सामने आया था।