नवगछिया: नवगछिया थाना क्षेत्र के धोबिनिया निवासी सेना के जवान लालू यादव के 35 वर्षीय पुत्र रामचंद्र यादव का शव रविवार को उनके पैतृक गांव धोबिनिया पहुंचा. सेना के जवान रामचंद्र का शव धोबिनिया गांव पहुंचते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव सहित आसपास के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. शव के गांव पहुंचते ही सेना के जवान के परिजन उनके शव से लिपट कर विलाप करने लगे. परिजनों के विलाप से हर किसी की आंखे नाम हो जा रही थी. परिजनों एवं ग्रामीणों के द्वारा सेना के जवान के अंतिम दर्शन के बाद उन्हें दाह संस्कार के लिए लक्ष्मीपुर गंगा घाट ले जाया गया.

जानकारी के अनुसार रामचन्द्र यादव का शव कानपुर रेलवे स्टेशन से आगे रेलवे ट्रेक के किनारे से लावारिस अवस्था मे बरामद किया गया था. मेरठ की आई सेना के जवानों की टीम ने उनके शव की पहचान की थी. शव की पहचान के बाद मेरठ की टीम ने शव को पोस्टमार्टम के बाद ससम्मान धोबिनिया पहुंचे. इस दौरान धोबिनिया के ग्रमीणों ने सेना के जवान के अंतिम आगमन पर नम आंखों से स्वगत किया. इस दौरान लोगों ने नारे लगाते हुए कहा कि जबतक सूरज चांद रहेगा रामचंद्र तेरा नाम रहेगा.

परिजनों ने बताया कि रामचंद्र यादव वर्ष 2002 में सेना में भर्ती हुए थे. भर्ती होने के बाद वह पिछले 9 वर्षों से जम्मू कश्मीर के पूनच सेक्टर में प्रतिनियुक्त थे. जम्मू कश्मीर के पूनच सेक्टर से उनका स्थांतरण मेरठ हो गया था. मेरठ स्थांतरण होने के बाद वह राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन से मेरठ जा रहे थे. कि इसी दौरान कानपुर स्टेशन से आगे ट्रेन से गिर जाने के कारण उसकी मौत हो गई. सेना के जवान की मौत से गांव में मातम का माहौल छाया हुआ.

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,, चीख रही थी मां, पत्नी थी बेसुध बच्चों का रुदन देख दहल रहे थे लोग

सेना के जवान का शव जैसे ही धोबिनिया गांव स्थित उनके पैतृक घर पर पहुंचा तो परिजनों की रुदन से पूरा इलाका मातम में तब्दील हो गया. मृतक की मां हेमा देवी अपने पुत्र के शव पर चीख-चीखकर रो रही थी. वही पत्नी रूबी देवी अपने पति के शव को झकझोर रही थी और रोते-रोते वह बेसुध हो जा रही थी. सेना के जवान के दो पुत्र राजा दस वर्ष और राही आठ वर्ष अपने पिता के शव पर चीख-चीखकर रो रहे थे. बच्चों के रुदन से को देख कर हर किसी का दिल दहल जा रहा था.

बूढ़े पिता लालू यादव एक तरफ इस तरह बैठे हुए थे कि मानो कि उस उनका सब कुछ लूट चुका हो. उनके होंठो की खामोशी उनके दर्द को चीख चीख कर बंया कर रही थी. जवान के दर्शन करने आए लोग परिजनों को ढांढस बांधा रहे थे.

लेकिन दो छोटे-छोटे बच्चे, बूढ़ी मां व पत्नी के रुदन को देख कर हर किसी का दिल दहल जा रहा था और उनके आंखों में आंसू छलक कर बाहर निकल जा रहे थे. परिजनों ने बताया कि रामचंद्र यादव अपने चार भाइयों में सबसे बड़ा था. उनसे छोटा भाई हीरालाल यादव खेती किसानी करता है. उनसे छोटा चंदन यादव महात्मा बन गया और इधर उधर घूमते रहता है. घर गृहस्थी से उन्हे कोई लेना देना नहीं है. छोटा भाई अभिनंदन अभी पढ़ाई कर रहा है.