नवगछिया अनुमंडल में उफनाई गंगा और कोसी नदी से लगभग सभी प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। गोपालपुर, रंगरा, इस्माईलपुर, नारायणपुर, नवगछिया प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों सहित स्कूलों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इस कारण हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। लेकिन ज्यादातर जगहों पर बाढ़ पीड़ितों तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है। शुद्ध पानी तक के लिए बाढ़ पीड़ित तरस गए हैं। ये लोग ऊंचे स्थानों पर यहां-वहां शरण लिए हुए हैं, जहां न तो चापाकल है और ना ही शौचालय और रोशनी की व्यवस्था है। लिहाजा, बाढ़ पीड़ित परिवार बाढ़ का पानी पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं और सत्तू खाकर पेट भर रहे हैं।

गोपालपुर में जिला प्रशासन की तरफ से मध्य विद्यालय डिमाहा और बुनियादी प्राथमिक विद्यायल करारी तिनटंगा में राहत शिविर खोला गया है। मगर, अपने घरों का सामान छोड़कर बाढ़ पीड़ित वहां जाने नहीं चाहते। इस्माईलपुर प्रखंड की सुशीला देवी, विकास, अरविंद, रूबी देवी, रघुनंदन, गोपालपुर प्रखंड के दिनेश मंडल, योगी मंडल, ममता देवी आदि बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि बाढ़ के पानी में चापाकल और शौचालय डूब गए हैं। इस कारण गंगा का पानी पी रहे हैं। बाढ़ के पानी के बीच ही शौच जाना पड़ता है। बाढ़ के चलते नारकीय जिंदगी जी रहे हैं। राहत के नाम पर प्लास्टिक सीट और थोड़ा-बहुत चूड़ा-गुड़ दिया गया है। उससे पेट नहीं भरता। हमारे बच्चे भूख से बिलखते रहते हैं। गांवों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

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नारायणपुर की साहजादपुर और बैकठपुर दुधैला पंचायत, इस्माईलपुर की पांचों पंचायतें, गोपालपुर में बिंदटोली, नवटोलिया, बोचाही, रंगरा के मदौरानी, सधवा, चापर, कुशकीपुर, सहोड़ा, नवगछिया के खगड़ा गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।

बिहपुर-नारायणपुर प्रखंड सीमा पर गंगा तट पर बने दस किमी लंबे नरकटिया-नन्हकार बाध पर जगह-जगह रैनकट बनने से बांध जर्जर हो गया है। बाध पर नरकटिया, अमरपुर, लतामबाडी, स्लूईस गेट, रामनगर, नन्हकार समेत कई जगहों पर अनेकों रैनकट बनने से पानी के रिसाव की आशंका बढ़ गई है। गत साल इसी रिसाव के चलते पूरे इलाके में बाढ़ की तबाही मच गई थी। इसके बावजूद जल संसाधन विभाग लापरवाह बना है। गत दिनों विभाग के अभियंता उमाशकर सिह और प्रकाश सिह के नेतृत्व में एक टीम ने बांध का जायजा लिया था और कार्यपालक अभियंता को बाध पर तत्काल बीस हजार बोरियों में बालू भरकर अतिसंवेदनशील जगहों पर स्टॉक करने का निर्देश दिया था।

लेकिन अब तक मात्र दस हजार बोरी बालू ही स्टॉक किया गया है। इधर, बांध पर गंगा के पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने कहा कि बांध इतना जर्जर हो गया है कि पैदल चलना भी दूभर है। रैनकट के अलावा बाध में कई जगहों पर चूहों का मान बना हुआ है। गंगा की धारा सीधे बाध से टकरा रही है। इससे बाध ध्वस्त होने की खतरा बना है। बाध टूटा तो दर्जनों गांव सहित हजारों बीघे में लगी केले, मकई और धान की फसल बर्बाद हो जाएगी।

जिला पार्षद कुमकूम चौधरी, गौरव राय और घटु सिंह ने कहा कि विभाग के पदाधिकारी जानबूझकर बाध पर पहले से मरम्मत कार्य पूरा नहीं कराते हैं। लाखों की राशि का बंदरबाट कर लिया जाता है। बाध पर समुचित मिट्टी और बालू भरी बोरा न देकर उसे केवल बाध पर स्टॉक कर रख दिया गया है।

नारायणपुर की साहजादपुर और बैकठपुर दुधैला पंचायत के बाढ़ पीड़ितों ने अंचलाधिकारी रामजपी पासवान से राहत सामग्री देने की मांग की है। दोनों पंचायत के विद्यालय में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से पठन-पाठन भी बंद है। साहजादपुर के मुखिया रूपेश मंडल ने कहा है कि पंचायत की 12 हजार आबादी बाढ़ से प्रभावित है। लेकिन सहायता के नाम पर केवल ढ़ाई सौ प्लास्टिक सीट दिया गया है। आवास, शौचालय, चापाकल,शुद्व पेयजल की आवश्यकता है।

सीओ ने कहा कि साहजादपुर पंचायत में बाढ़ की अद्यतन स्थिति की जानकारी के लिए टीम भेजी गई है लेकिन अबतक सूची नहीं मिली है। वहीं बैकठपुर दुधैला पंचायत के बाढ़ पीड़ितों ने संजय मंडल भारती के नेतृत्व में सीओ से अंचल कार्यालय में मुलाकात की और सहायता राशि की मांग की। सीओ ने कहा कि सूची के अनुसार सभी पीड़ितों को लाभ मिलेगा।