नवगछिया : दयांनद पाण्डेय, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा। उसी समय धनु राशि में गुरु और राहु मौजूद रहेगा। ऐसे में ग्रहण के दौरान गुरु की द्दष्टि धनु राशि पर रहने के कारण ग्रहण का प्रभाव धनु राशि पर पड़ेगा। इस दौरान धनु राशि के जातकों का मन अशांत रह सकता है। माता जी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। मन की शांति के लिए ध्यान क्रिया को अपनाने की सलाह दी जाती है।

चौथा चंद्र ग्रहण कब?

5 जुलाई का चंद्र ग्रहण साल का तीसरा चंद्र ग्रहण है। इसके बाद साल 2020 का आखिरी और चौथा चंद्रग्रहण 30 नवंबर को होगा। यह ग्रहण भी उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में घटित होगा।

ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए करें ये आसान उपाय

कल लगने वाला चंद्र प्रभावकारी नहीं है। परंतु चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों को नष्ट करने के लिए अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद चंद्र ग्रहण के पश्चात चावल और सफेद तिल का दान करें और अपने से बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लें। यह सरल उपाय आपको ग्रहण के अशुभ प्रभावों से मुक्त करेगा। इसके अलावा आप किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह से चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने की सलाह ले सकते हैं।

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चंद्र ग्रहण का मन पर पड़ता है सीधा प्रभाव

चंद्र ग्रहण का प्रभाव सीधे व्यक्ति के मन पर पड़ता है। इसके साथ ही यह माता जी को भी प्रभावित करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को मन और माता का कारक माना जाता है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा पीड़ित अवस्था में हो उन्हें ग्रहण के दौरान चंद्र ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिए। इस समय मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान क्रिया उत्तम होती है।

वर्ष का चौथा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा इस दिन

साल 2020 में चार चंद्र ग्रहण हैं। इस साल का पहला चंद्र 10 जनवरी में लगा था और साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को था। वहीं जो कल यानी 5 जुलाई को लगेगा यह इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण होगा। जबकि 30 नवंबर को चौथा और वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। इसके अलावा इस साल के खाते में दो सूर्य ग्रहण हैं। साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को था, जो बीत गया है। वहीं साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा।

क्या ग्रहण को नग्न आंखों से देख सकते हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्र ग्रहण को आप नग्न आंखों से तो देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण को नहीं। क्योंकि सूर्य ग्रहण से आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने के लिए सोलर फिल्टर वाले चश्मों का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन कल जो चंद्र ग्रहण लग रहा है वह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। इसमें चंद्रमा के आकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसे आप नग्न आंखों से नहीं देख पाएंगे। इसके लिए आपको टेलिस्कोप की आवश्यकता होगी।

चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए क्या करें

धार्मिक नजरिए से ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है। इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। चंद्र ग्रह के बीज मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः का 108 बार जाप करने से ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके अलावा चंद्र यंत्र की पूजा करने से भी ग्रहण के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को देना होगा खास ध्यान

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। हालांकि कल लगने वाला ग्रहण प्रभावकारी नहीं है। मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों और तेजधार वाले औजारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका बुरा असर गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर पड़ता है। सूतक काल में तो उन्हें घर से भी बाहर नहीं निकलना चाहिए।

पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि के दिन ही लगता है। खास बात ये है कि पिछले लगातार तीन साल से गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। लेकिन हर पूर्णिमा तिथि को यह नहीं लगता है। खगोल विज्ञान के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण का कारण पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुका होना है। यह झुकाव 5 अंश का है। इसलिए हर पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता है।

चंद्र ग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यताएं

विज्ञान जहां चंद्र ग्रहण को महज एक खगोली घटना मानता है। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस दौरान कई कार्यों को वर्जित माना गया है। खासकर शुभ कार्यों को। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं की जाती है और न ही देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श किया जाता है। मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। फिर ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण की प्रक्रिया होती है।

चंद्र ग्रहण के होते हैं तीन प्रकार

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार से लगते हैं। इनमें पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक और तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में हों और सूर्य व चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आकर चंद्रमा को पूरी तरह ढक ले तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं जबकि आंशिक चंद्र ग्रहण में पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप में ढकती है। ज्योतिष में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को प्रभाव शून्य माना जाता है।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई देता है ऐसा

कल लगने वाला ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। दरअसल, उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार में किसी भी तरह का कोई फेरबदल नहीं होता है। इस चंद्र ग्रहण में चांद के ऊपर पृथ्वी की छाया पड़ने से चंद्रमा पर एक हल्की सी धूल जैसी छाया पड़ती है। इसी को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। यह घटना नग्न आंखों से दिखाई नहीं देगी, बल्कि इसे देखने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

ज्योतिषीय नजरिए से चंद्र ग्रहण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा। उसी समय धनु राशि में गुरु और राहु मौजूद रहेगा। ऐसे में ग्रहण के दौरान गुरु की द्दष्टि धनु राशि पर रहने के कारण ग्रहण का प्रभाव धनु राशि पर पड़ेगा। इस दौरान धनु राशि के जातकों का मन अशांत रह सकता है। माता जी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। मन की शांति के लिए ध्यान क्रिया को अपनाने की सलाह दी जाती है।

गुरु पूर्णिमा पर लग रहा है यह ग्रहण

यह चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लग रहा है। यानी गुरु पूर्णिमा उत्सव पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। गुरु पूर्णिमा पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। यह तिथि पांच जुलाई को पड़ रही है। गुरु पूर्णिमा को गुरु उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा का उत्सव गुरु के प्रति श्रद्धा, आदर और कृतज्ञता को दर्शाता है।

चंद्र ग्रहण में नौ घंटे पहले लग जाता है ग्रहण

चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण लगने से नौ घंटे पूर्व ही लग जाता है। वहीं सूर्य ग्रहण में यह ग्रहण के समय से 12 घंटे पहले ही लगता है। सूतक काल लगने के बाद से ही एक प्रकार से ग्रहण का प्रभाव शुरू हो जाता है। सूतक काल में खाना खाना अथवा उसे पकाना वर्जित माना जाता है। इस दौरान गर्वभवती महिलाओं को भी विशेष सावधानी बरतनी होती है। दरअसल ग्रहण एक अशुभ घटना होती है। सूतक काल ग्रहण समाप्ति के साथ ही खत्म होता

भारत में ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा

कल गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका एवं एशिया के कुछ हिस्सों में नजर आएगा। भारत में दिखाई न देने के कारण यहां पर ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। ग्रहण में लगने वाला सूतक काल एक अशुभ समय होता है, जिसमें कई शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। पूजा पाठ में रोक लग जाती है। मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं आदि।

एक महीने के भीतर यह तीसरा ग्रहण है

30 दिनों के भीतर 3 ग्रहण लग चुके हैं। 5 जुलाई यानी आज लग रहे ग्रहण से पहले दो और ग्रहण लग चुके हैं। 5 जून को चंद्र ग्रहण लगा था फिर 21 जून को सूर्य ग्रहण और अब 5 जुलाई को तीसरा चंद्र ग्रहण। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 30 दिनों में तीन ग्रहण का अपना प्रभाव होता है। इनमें 5 जून को लगने वाला चंद्र उपच्छाया था, सूर्य ग्रहण वलयाकार था और कल होने वाला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा।

चंद्र ग्रहण का समय

यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण कल भारतीय समय के अनुसार सुबह 8 बजकर 38 मिनट से शुरू हो जाएगा और 11 बजकर 21 मिनट तक इस खगोलीय घटना को देखा जा सकता है। ग्रहण सुबह 9 बजकर 59 मिनट पर चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा। कुल मिलाकर इस चंद्र ग्रहण का पूरा समय 2 घंटे 45 मिनट तक रहेगा। इस चंद्र ग्रहण को यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा।

इस राशि में लग रहा है चंद्र ग्रहण, मन और माता को करेगा प्रभावित

कल साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसमें चांद के आकार में किसी भी तरह का कोई भी परिवर्तन नहीं होता है। चांद के कुछ एक हिस्से में मात्र पृथ्वी की छाया पड़ेगी। 30 दिनों के अंतराल में यह तीसरा ग्रहण है इसके पहले 21 जून को चूड़ामणि सूर्य ग्रहण लगा था जिसमें सूर्य सोने के कंगन की तरह दिखाई दिया था। वहीं 5 जून को भी उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। यह चंद्र भारत में दिखाई नहीं देगा। जिस कारण से इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा। ग्रहण अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण का कुल समय लगभग पौने तीन घंटे का रहेगा।