आस्था : नवगछिया में दो दिवसीय संतमत सत्संग का हुआ समापन, प्रवचन सुनने के लिए सीमावर्ती जिलों से भी पहुुंचे हजारों श्रद्धालु
श्रीपुर में आयोजित दो दिवसीय अनुमंडलीय संतमत सत्संग का 38 वां वार्षिक अधिवेशन सोमवार को आरती के साथ संध्या छह बजे संपन्न हो गया। सुबह छह बजे से स्वामी हरिनंदन बाबा ने स्तुति-विनती के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। प्रवचन के दौरान हरिनंदन बाबा ने कहा कि मनुष्यों के सद्कर्म में सबसे बड़ी बाधा सांसारिक मोह माया है। मनुष्य सांसारिक मोह माया के व्यसन में पड़कर अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं। मनुष्य को सांसारिक मोह माया को त्याग कर ईश्वर की भक्ति कर ही मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। सत्संग को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

सत्संग में आस पास के जिलों से भी सत्संग प्रेमी सत्संग सुनने के लिए पहुचे हुए थे। सत्संग में स्वामी हरिनंदन परमहंस जी महाराज, गुरु सेवी स्वामी भागीरथ जी महाराज स्वामी प्रमोद बाबा एवं अन्य साधु महात्माओं का प्रवचन दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, दिलीप कुमार सिंह, सकलदेव सिंह, कमलेश्वरी सिंह, माला सिंह, लाल बिहारी सिंह, कुलदीप प्रसाद सिंह, भगत सिंह, बजेश सिंह, ज्ञानसक कुमार सिंह, नवीन सिंह, नागेश्वर सिंह, मुरलीधर, मुरारी, मृत्युंजय एवं समस्त श्रीपुर ग्रामवासी का सहयोग रहा।

दुष्टों का संहार करने के लिए प्रभु का होता है अवतार : बालकृष्ण

कहलगांव| दुष्टों का संहार करने के लिए ही प्रभु इस घरती पर अवतार लेते है। उक्त बातें शहर के खुटहरी में चल रही रामकथा के पांचवें दिन प्रवचन के दौरान आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कर्म की शिक्षा के लिए माता पिता के प्रति सर्मपन भाव रखना चाहिए। कहा कि असली संत की पहचान करना काफी कठिन है, इसलिए आप को सावधान रहने की अवश्यकता है। वास्तविक संत का अपमान कभी नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति संत ब्रहमणों का अपमान करता है तो समझो वह भगवान का अपमान कर रहा है।

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