अगले दो वर्षों में देश के 100 रेल रूटों पर 150 निजी ट्रेनें चलाई जाएंगी। इसके लिए एजेंसियों को आमंत्रित किया जा रहा है। फ्रेट कॉरीडोर जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। इसके बाद फ्रेट कॉरीडोर पर मालगाड़ियां ही चलाई जाएंगी। इस व्यवस्था से पैसेंजर लाइन पर अधिक संख्या में ट्रेनों के चलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

वाराणसी-छपरा रूट पर निरीक्षण करने के बाद गोरखपुर पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन
जो 100 रूट चिह्नित किए गए हैं उनमें से गोरखपुर-दिल्ली रूट भी है शामिल

ये बातें वाराणसी-छपरा रूट पर निरीक्षण के बाद गोरखपुर आए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहीं। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि प्राइवेट ट्रेनें चलाने का मतलब यह नहीं कि उस पर रेलवे का नियंत्रण नहीं होगा। हकीकत यह है कि पूरा ऑपरेशन और संरक्षा रेलवे का ही रहेगा। सिर्फ संचलन ही निजी हाथों में रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन रूटों पर अतिरिक्त ट्रेनें चलनी हैं, उन्हें निर्धारित कर दिया है। सभी जोन के अधिकारियों के साथ बैठक कर 100 रूटों पर 150 ट्रेनों चलानें की योजना बनी है।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि इस सुविधा के शुरू होने में दो साल का वक्त लगेगा। तैयारी शुरू हो चुकी है। जो 100 रूट चिह्नित किए गए हैं उनमें से गोरखपुर-दिल्ली रूट भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इससे रेलवे के विकास को काफी गति मिलेगी। बताया कि जो रूट खाली होगी उस पर रेलवे ऑन डिमांड ट्रेनें चला सकेगा। मसलन अगर दिल्ली-मुम्बई रूट पर एक और ट्रेन की जरूरत है तो उसे जल्द से जल्द चलाया जा सकेगा। एजेंसियों को इसलिए आमंत्रित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक संख्या में ट्रेनें चल सकें।

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रेलवे में कैपिटल निवेश चार गुना बढ़ा : सीआरबी ने बताया कि मौजूदा सरकार ने रेलवे में कैपिटल निवेश चार गुना तक बढ़ाया है। चाहे वह विद्युतीकरण का क्षेत्र हो या फिर दोहरीकरण का, हर क्षेत्र में व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। यात्री सुविधाओं पर काफी बजट दिया गया है।

सभी अधिकारियों में आएगी समानता की भावना

रेलवे बोर्ड में हुए मर्जर के सवाल पर सीआरबी ने कहा कि यह रेल के विकास में काफी अच्छा है। रेलवे बोर्ड को छोटा करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। इससे जहां रेलवे बोर्ड का स्वरूप छोटा होगा, वहीं जोन स्तर पर अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनेगा। उन्होंने कहा कि मर्जर के तीन अहम अंग हैं। पहला रेलवे बोर्ड का स्वरूप छोटा रहेगा। यहां सिर्फ नीतियां बनेंगी। दूसरा जहां अभी एपेक्स यानी सचिव स्तर के 10 अफसर हैं, वहीं अब सभी जोन के जीएम और उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों को सचिव बना दिया गया है। इससे काम में और तेजी आएगी। इस नई व्यवस्था से अफसरों में सामंजस्य और बढ़ेगा ही, साथ ही काम में तेजी भी आएगी।